चार दिन
जिंदगी के चार दिन हैं दोस्तों ,
हो सकता है दो दिन ,आपके हक़ के हों ,
और बाकि दो दिन ,आपके हक़ के ना हों दोस्तों ||
अपने हक़ के दिनों में ,घमंड ना करना ,
किसी परेशान की ,परेशानी बाँट लेना ,
उसके साथ डट कर ,खड़े रहना दोस्तों ||
बाकि दो दिनों में ,उदास मत होना ,
सब्र करना और ,मुस्कुराहट खिलाए रखना ,
हो सकता है कोई ना कोई , आपके साथ खड़ा हो जाए ||
उदासी में कोई साथ नहीं देता ,
मगर मुस्कुराहट में ,भागीदार सभी बनते हैं ,
यही सोच कर ,हमेशा मुस्कुराते रहिए ,
और जीवन में ,फूलों का बगीचा खिलाए रखिए ||
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