Wednesday, November 27, 2024

GHAAT KAA PATTHAR ( KSHANIKAA )

 

                               घाट का पत्थर 


दोस्तों ! मैं हूँ ,एक घाट का पत्थर ,

बड़ी सी एक ,नदी किनारे पड़ा हुआ ,

साफ - सुथरा और ,चिकना - चिकना सा ,

नदी  के पानी ने ,बार - बार टकरा कर ,

मुझे गोल -गोल ,और चिकना बना दिया || 


 मैं हूँ बिल्कुल शांत सा ,

कुछ भी नहीं बोलता हूँ मैं ,

मगर नदी के हजारों नखरे ,

मैं हूँ सह जाता ,और उफ़ भी नहीं करता 


नदी के पानी से ,घिस - घिस कर ,

कुछ बरसों में ,मैं ख़त्म ही हो जाऊँगा ,

जीवन मेरा ऐसे ही बीता है ,

और ऐसे ही बीतेगा दोस्तों  || 


शायद पचास या साठ बरस बाद ,

यदि आप इस घाट पर ,आओगे जो ,

तो हो सकता है ,मैं गायब हो जाऊँ ,

और आप लोगों को ,ना मिलूँ दोस्तों || 


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