एहसान
ये जिंदगी तो कर्ज है हम पर , उतर जाएगा एक दिन ,
साँसें भी तो कर्ज ही हैं , वो भी ठहर जाएँगी एक दिन ,
ये कर्ज है बंधु , एहसान नहीं है ,
ये प्यार है ईश्वर का , जो उसने हमें दिया ||
उसका दिया यह तोहफा जिंदगी का ,
उसका दिया प्यार और कर्ज तो ,
हम वापस करेंगे ,भक्ति से , आराधना से ,
अपनी जिंदगी से और अपनी साँसों से ||
अगर अहसान होता तो , क्या हम लौटा पाते ?
नहीं , नहीं , हम ऐसा नहीं कर सकते थे ,
एहसान तो ऐसी चीज है ,जो उतारा ना जा सके ,
एहसान हमारे ऊपर ऐसा असर छोड़ता है ,
जिसे हम किसी भी सूरत में नहीं उतार सकते ||