Tuesday, August 5, 2025

GUNGUNAA LO ( GEET )

 

                          गुनगुना लो 

 

दिल की गहराईयों में जो पनप रहा है , उसे पनपने दो ,

जो आँखों में बस रहा है , उसे बसने दो ,

शब्दों के भाव जो जग रहे हैं , उन्हें जगने दो   || 

 

शब्दों से रचते जा रहे हैं जो गीत , उन्हें रचने दो ,

उन गीतों को मीठे संगीत में पिरोने का ,काम करने दो ,

उन गीतों को जब मन करे तो तुम , उन्हें गुनगुना लो   ||  

 

हर भाव दुनिया से उतरता है जब दिल में , उसे उतरने दो ,

वो भाव दिल में उतरकर बस जाएँगे ,  तो बसने दो ,

उन्हीं भावों को याद करोगे तो मुस्कान आएगी ,उसे आने दो ,

मुस्कानों के खिलने से होंठ मुस्काएँगे , तो उन्हें मुस्काने दो  || 

 

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