गुनगुना लो
दिल की गहराईयों में जो पनप रहा है , उसे पनपने दो ,
जो आँखों में बस रहा है , उसे बसने दो ,
शब्दों के भाव जो जग रहे हैं , उन्हें जगने दो ||
शब्दों से रचते जा रहे हैं जो गीत , उन्हें रचने दो ,
उन गीतों को मीठे संगीत में पिरोने का ,काम करने दो ,
उन गीतों को जब मन करे तो तुम , उन्हें गुनगुना लो ||
हर भाव दुनिया से उतरता है जब दिल में , उसे उतरने दो ,
वो भाव दिल में उतरकर बस जाएँगे , तो बसने दो ,
उन्हीं भावों को याद करोगे तो मुस्कान आएगी ,उसे आने दो ,
मुस्कानों के खिलने से होंठ मुस्काएँगे , तो उन्हें मुस्काने दो ||
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