Sunday, August 10, 2025

YAADON KII NEENV ( KSHANIKAA )

 

                              यादों की नींव 

 

यादों ने हमें रोक लिया , बीते कल की गलियों में ,

जहाँ  हमारा बचपन खेला करता था , दोस्तों के बीच में ,

कितने खेल थे वहाँ  ?  कितने कहकहे थे वहाँ  ?

आज तो मुस्कुराहटें भी , दबी - दबी सी हैं   || 

 

आने वाले कभी बाद में , शामिल होंगे यादों में ,

समय बीतने पर हम उनको भी , बसाएँगे यादों में  ,

कल तो कल हैं दोस्तों , चाहे हों बीते या आने वाले ,

बस आज ही आज है दोस्तों , जो नहीं होगा यादों में  || 

 

यादों की अँगुली थाम कर हम , आज की सीढ़ी चढ़ पाए ,

तभी तो हम आज कह पाते हैं , यादों की नींव हमारी है ,

इसी पर आज हम खड़े हैं , दबे हुए मुस्कुराहटों में   || 

 

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