ज्ञात
"कपिल शर्मा " शो में "आयुष्मान खुराना " जी की
" अज्ञात " कविता सुनी ,बहुत पसंद आई ,उसी के
जवाब में कुछ कहना चाहती हूँ -------
अज्ञात का जवाब है " ज्ञात " दोस्तों ,
नींद तो अज्ञात नहीं है ,जानी - पहचानी है ,
अपनी आँखों के सागर में ,तैरती सी नैया है दोस्तों ||
उसी नींद में जब ,अज्ञात से सपने तैरते हैं ,
वो सपने जाने - पहचाने बन कर ,जीवन चलाते हैं ,
उन रास्तों पर ,ज्ञात सपने पूरे होने लगते हैं दोस्तों ||
देखे हुए और पूरे हुए सपनों में ,
एक लम्हे का ही फर्क है दोस्तों ,
जिसे हम अज्ञात या ज्ञात कह सकते हैं ,
अपनी - अपनी सोच का फर्क है दोस्तों ||
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