Saturday, January 4, 2025

GYAAT ( KSHANIKAA )

 

                                      ज्ञात 


"कपिल शर्मा " शो में "आयुष्मान खुराना  " जी की 

" अज्ञात " कविता सुनी ,बहुत पसंद आई ,उसी के 

जवाब में  कुछ कहना चाहती हूँ  ------- 


अज्ञात का जवाब है " ज्ञात " दोस्तों ,

नींद तो अज्ञात नहीं है ,जानी - पहचानी है ,

अपनी आँखों के सागर में ,तैरती सी नैया है दोस्तों || 


उसी नींद में जब ,अज्ञात से सपने तैरते हैं ,

वो सपने जाने - पहचाने बन कर ,जीवन चलाते हैं ,

उन रास्तों पर ,ज्ञात सपने पूरे होने लगते हैं दोस्तों || 


देखे हुए और पूरे हुए सपनों में ,

एक लम्हे का ही फर्क है दोस्तों ,

जिसे हम अज्ञात या ज्ञात कह सकते हैं ,

अपनी - अपनी सोच का फर्क है दोस्तों || 


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