पुनर्जन्म !
नव जीवन मिला ,नई साँसों से भरपूर ,
नई उमंगों से ,नई आशाओं से भरपूर ,
जग में आकर ,सीखने को बहुत कुछ था ,
कुछ गुण ईश्वर प्रदत्त थे ,और कुछ का विकास करना था ||
मानव शरीर में ,एक अंश परमात्मा का था ,
जिसको आत्मा का नाम दिया ,मानव ने ,
जिसका ना आदि है ,और ना उसका अंश है ,
जिसने अपनी आत्मा को जान लिया ,वही संत है ||
शरीर का अंत है ,मगर आत्मा अमर है ,
इस अमरता के कारण ही ,
आत्मा अपना शरीर रूपी चोला बदलती है ,
वही पुनर्जन्म है बंधु ||
ऐसे में आत्मा अपने ,पुनर्जन्म को भूल जाती है ,
मानो नई यादें बनाने के लिए तैयार ,
नया शरीर पहन कर ,जब वह जग में आती है ,
तो नए जीवन के लिए ,चल पड़ती है ||
नए रास्ते ,नए रिश्ते ,नई दिन -चर्या ,
सभी कुछ नया - नया ,नया समय ,नई जगह ,
अंत पुराने का ,शुरुआत नए की ,
शुरु हुई इस पुनर्जन्म की कहानी ||
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