Monday, January 6, 2025

PUNARJANM ! ( KSHANIKAA )

 

                             पुनर्जन्म  !


नव जीवन मिला ,नई साँसों से भरपूर ,

नई उमंगों से ,नई आशाओं से भरपूर ,

जग में आकर ,सीखने को बहुत कुछ था ,

कुछ गुण ईश्वर प्रदत्त थे ,और कुछ का विकास करना था || 


मानव शरीर में ,एक अंश परमात्मा का था ,

जिसको आत्मा का नाम दिया ,मानव ने ,

जिसका ना आदि है ,और ना उसका अंश है ,

जिसने अपनी आत्मा को जान लिया ,वही संत है || 


शरीर का अंत है ,मगर आत्मा अमर है ,

इस अमरता के कारण ही ,

आत्मा अपना शरीर रूपी चोला बदलती है ,

वही पुनर्जन्म है बंधु || 


ऐसे में आत्मा अपने ,पुनर्जन्म को भूल जाती है ,

मानो नई यादें बनाने के लिए तैयार ,

नया शरीर पहन कर ,जब वह जग में आती है ,

तो नए जीवन के लिए ,चल पड़ती है ||  


नए रास्ते ,नए रिश्ते ,नई दिन -चर्या ,

सभी कुछ नया - नया ,नया समय ,नई जगह ,

अंत पुराने का ,शुरुआत नए की ,

शुरु हुई इस पुनर्जन्म की कहानी || 


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