गागर - सागर
सागर है तू ,गागर हूँ मैं ,दोनों में जल ही जल है ,
पर तुझमें सागर रत्न भरे हैं ,
मैं हूँ सादा जल की गागर ,
सागर ,तेरा पानी नमकीन ,मैं मीठे जल की गागर ||
सागर तुझमें तूफान छिपे हैं ,मेरा जल तो प्यास बुझाए ,
सागर तेरे भीतर आकर ,
प्राणी प्यासा मर ही जाए ,
तुझमें सागर जीवन उपजा ,पर मैं जीवन देने वाली गागर ||
तू जल का भंडार अतुल ,मैं हूँ छोटी सी गागर ,
तुझमें असंख्य जीव हैं पलते ,
मैं हूँ छोटा सा आगार ,
पर हम दोनों हैं दोस्त घने ,दोनों का है अलग संसार ||
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