Wednesday, January 1, 2025

GAAGAR - SAAGAR ( RATNAAKAR )

 

                         गागर - सागर 


सागर है तू ,गागर हूँ मैं ,दोनों में जल ही जल है ,

पर तुझमें सागर रत्न भरे हैं ,

मैं हूँ सादा जल की गागर ,

सागर ,तेरा पानी नमकीन ,मैं मीठे जल की गागर || 

 

सागर तुझमें तूफान छिपे हैं ,मेरा जल तो प्यास बुझाए ,

सागर तेरे भीतर आकर ,

प्राणी प्यासा मर ही जाए ,

तुझमें सागर जीवन उपजा ,पर मैं जीवन देने वाली गागर || 

 

तू जल का भंडार अतुल ,मैं हूँ छोटी सी गागर ,

तुझमें असंख्य जीव हैं पलते ,

मैं हूँ छोटा  सा आगार ,

पर हम दोनों हैं दोस्त घने ,दोनों का है अलग संसार || 


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