हमारी महफिल
मुस्कान लिए चंदा ,झाँका था झरोखे से ,
दे गया मीठी मुस्कान ,मेरे भी होठों पे ||
चंदा की मुस्कान के साथ ,उतरी थी चाँदनी ,
दोनों ने मिल कर , धरा को चम - चम कर दिया ||
मैं हूँ सखि चंदा की ,लंबा ये नाता है ,
चंदा है सखा मेरा ,खुशियों से भरा नाता है ||
चंदा जब भी आता है ,चाँदनी के साथ ,
मेरा कमरा भी चमक उठता है ,चाँदनी के साथ ||
मुस्कानों से भरी ,हमारी महफिल ,
खिलखिला उठती है ,हमारी महफिल ||
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