Saturday, May 3, 2025

SANDES - SANDES ( CHANDRAMAA )

 

                              संदेस  - संदेस 


चंद्रमा ने  भिजवा दिया है , अपना संदेस मेरे नाम ,

मैं भी भिजवा रही हूँ , संदेसा उसके नाम ,

चंदा की चाँदनी जब , चमकाती है धरा को ,

धरा  की तो देखो , खिल उठती है मुस्कान  || 

 

संदेस चाँद का पढ़कर , मैं जो मुस्काई ,

चंदा के भी मुख पर देखो , मुस्कान है खिल आई ,

मुझे तो ऐसा , अहसास हुआ है जैसे ,

मैं चंदा के घर , चंदा से मिल आई  || 

 

काश हम दोनों के ,संदेस यूँ ही चलते रहें ,

हम दोनों के बीच का , प्यार यूँ ही पलता रहे ,

जीवन की खुशियों का झूला , ऐसे ही झूलता रहे ,

काश ये लम्हें ऐसे ही तो , प्यार में डूबकर ,

पूरी मानवता में खुशियाँ , फैलाते रहें  ||  

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