सुख और दुःख
हमारे दोनों पैर सुख और दुःख , का रूप हैं दोस्तों ,
चलते हुए कभी सुख आगे आता है , और कभी दुःख ,
जीवन में यह चक्र , चलता रहता है दोस्तों ||
कभी भी हमें सुख में , प्रसन्नता में डूबना नहीं चाहिए ,
और दुःख में निराशा के , सागर में डूबना नहीं चाहिए ,
दोनों परिस्थितियों में संतुलन , बनाए रखना चाहिए ||
तभी जीवन संतुलित रह पाएगा दोस्तों ,
क्योंकि हम चाहें या ना चाहें ,
दोनों परिस्थितियाँ तो आएँगी ही ,
और हमें हर परिस्थिति को , स्वीकार करना ही चाहिए ||
No comments:
Post a Comment