Friday, May 23, 2025

SUKH ORR DUKH ( JIVAN )

 

                         सुख और दुःख 


हमारे दोनों पैर सुख और दुःख , का रूप हैं दोस्तों ,

चलते हुए कभी सुख आगे आता है , और कभी दुःख ,

जीवन में यह चक्र , चलता रहता है दोस्तों  || 

 

कभी भी हमें सुख में , प्रसन्नता में डूबना नहीं चाहिए ,

और दुःख में निराशा के , सागर में डूबना नहीं  चाहिए ,

दोनों परिस्थितियों में संतुलन , बनाए रखना चाहिए  || 

 

तभी जीवन संतुलित रह पाएगा दोस्तों ,

क्योंकि हम चाहें या ना चाहें ,

दोनों परिस्थितियाँ तो आएँगी ही ,

और हमें हर  परिस्थिति को , स्वीकार करना ही चाहिए  || 


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