Thursday, May 29, 2025

BHOOL - BHULAINYAA ( JIVAN )

 

                         भूल - भुलैंया 


जीवन है एक भूल - भुलैंया यारा , जीवन है यारा ,

जग में जब हमने जन्म लिया ,माता -पिता के प्यार में खोए ,

थोड़े बड़े होने पर , खेलों की नगरी में खोए  || 

 

पढ़ने जाने के लिए , गुरुओं के ज्ञान में खोए ,

ज्ञान मिला हमको उनसे , उस ज्ञान - गंगा में खोए ,

संगी - साथियों का खेल निराला , हँसी - ख़ुशी से उसमें खोए  || 

 

जीवन साथी के साथ चले , तो बच्चों की किलकार में खोए ,

उनका जीवन बढ़ने लगा जब , तो खुशियों की खनकार में खोए ,

चलते - चलते हम पहुँच गए , जीवन की मंझधार में खोए  || 

 

आगे बढ़ता चला है जीवन ,पहुँचे जीवन की शाम में खोए ,

अब आगे जो कदम बढ़ेगा , पहुँचेगा कान्हा के धाम में खोए ,

तो समझ गए ना , आप भी दोस्तों ,

जीवन है एक भूल - भुलैंया यारा , जीवन है यारा  || 

 

No comments:

Post a Comment