भूल - भुलैंया
जीवन है एक भूल - भुलैंया यारा , जीवन है यारा ,
जग में जब हमने जन्म लिया ,माता -पिता के प्यार में खोए ,
थोड़े बड़े होने पर , खेलों की नगरी में खोए ||
पढ़ने जाने के लिए , गुरुओं के ज्ञान में खोए ,
ज्ञान मिला हमको उनसे , उस ज्ञान - गंगा में खोए ,
संगी - साथियों का खेल निराला , हँसी - ख़ुशी से उसमें खोए ||
जीवन साथी के साथ चले , तो बच्चों की किलकार में खोए ,
उनका जीवन बढ़ने लगा जब , तो खुशियों की खनकार में खोए ,
चलते - चलते हम पहुँच गए , जीवन की मंझधार में खोए ||
आगे बढ़ता चला है जीवन ,पहुँचे जीवन की शाम में खोए ,
अब आगे जो कदम बढ़ेगा , पहुँचेगा कान्हा के धाम में खोए ,
तो समझ गए ना , आप भी दोस्तों ,
जीवन है एक भूल - भुलैंया यारा , जीवन है यारा ||
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