जंजाल
हमारे हालातों के जंजाल को , सभी ने मिलकर उलझा दिया ,
किसी ने भी उसमें से ,निकलने का मौका नहीं दिया ,
कैसे करते ? क्यों करते ? उन्हीं का किया ये जंजाल था ||
जिंदगी की राहें सीधी तो नहीं थीं , मगर इतने मोड़ भी नहीं थे ,
फिर किसने ये राहें मोड़ दीं , सीढियाँ उनमें जोड़ दीं ,
हम एक सीढ़ी से ऊपर चढ़ते हैं , तो दूसरी से नीचे उतरते हैं ||
लगता है ये सीढियाँ नहीं , पहेलियाँ हैं , एक का हल मिला ,
तो दूसरी ने उलझा लिया , दूसरी का हल मिला ,तो तीसरी तैयार थी ,
अब कहाँ तक जाकर , ये उलझन - सुलझन बनेगी ? हमें समझेगी ||
क्या आप बता सकते हैं दोस्तों ?
हमें कब सीधी राह मिलेगी दोस्तों ?
जो हमें हमारी , मंजिल तक ले जाएगी दोस्तों ||
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