गठरी अपनी
ऊपर वाले ने हमारे लिए , तय की हुई है यात्रा ,
अपने पास बुलाने की , समय भी तय किया हुआ है ,
सामान तय किया हुआ है , यदि वही सामान हमारा होगा ,
तो उसका वजन तय नहीं है ,
हम जितना चाहें , उतना ले जा सकते हैं ||
यदि सामान वह नहीं है , तो हम नहीं ले जा सकते ,
यहीं पर छोड़ना होगा , हम खाली हाथ जाएँगे ,
तो दोस्तों सामान ले जाने लिए ,
हमें वही सामान इकठ्ठा करना होगा , जो उसने तय किया है ||
दोस्तों वह सामान है , अच्छे और सुंदर कर्म ,
दूसरों की मदद करना , उनके होठों पर मुस्कान सजाना ,
हमें वही कर्म करने हैं , उन्हें ही इकठ्ठा करना है ,
तो चलो अपनी गठरी में , वही कर्म एकत्रित करते हैं ||
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