उचित
जो मिल गया है विरासत में , हमको और तुमको दोस्तों ,
उसी में तो गुजारा करना है ,
विरासत में मिले खजाने से ही , हमको और तुमको दोस्तों ,
अपना गुजारा करना है ||
कलम मिलीं हैं , लिखने को डायरी ,यही खजाना है दोस्तों ,
मगर शब्दों का , भंडार तो नहीं मिला है ,
क्या करें कलम और डायरी का हम ?
जब ज्ञान ही हमें नहीं मिला है ||
चलो ढूँढते हैं शब्दों का खजाना ,
कुछ दिल से ,कुछ सोच से ,
कुछ अपनों के और कुछ दूजों के व्यवहार से ,
क्यों दोस्तों ये सब उचित है ना ??
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