सपनों का गाँव
दोस्तों एक बार पहुँच गए हम , सपनों के गाँव में ,
जहाँ फूले थे , हरे - भरे से खेत , और बाग - बगीचे ,
रंग - बिरंगे फूल खिले थे , महके हुए चमन में ||
नदिया की धार गुजरती थी , गाँव के आँगन से ,
उस नदिया की कल - कल धारा , बहती थी उस धार में ,
उसमें सुंदर जीव हैं पलते , सपनों के उस गाँव में ||
पनघट सुंदर सा खिलता है , उस गाँव के बीच में ,
कभी कुछ पनिहारियाँ थीं भरतीं , पानी उस पनघट से ,
आज वो पनघट सूना - सूना , नहीं पनिहारियाँ ||
पीपल , बरगद ,नीम की छाँव घनेरी , राही बैठें छाँव में ,
उन पेड़ों पर बहुत से पंछी , रहते थे घोंसलों में ,
उन की मधुर आवाज गूँजती थी , उस गाँव में ,
उसी गाँव में हम तो घूमें , अपनी नींद के सपनों में ||
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