Saturday, June 14, 2025

SAPNON KAA GAANV ( JIVAN )

 

                    सपनों का गाँव 

 

दोस्तों एक बार पहुँच गए हम , सपनों के गाँव में ,

जहाँ फूले थे , हरे - भरे से खेत , और बाग - बगीचे ,

रंग - बिरंगे फूल खिले थे , महके हुए चमन में   || 

 

नदिया की  धार गुजरती थी , गाँव के आँगन से ,

उस नदिया की कल -  कल धारा , बहती  थी उस धार में ,

उसमें सुंदर जीव हैं पलते , सपनों के उस गाँव में  || 

 

पनघट सुंदर सा खिलता है , उस गाँव के बीच में ,

कभी कुछ पनिहारियाँ थीं भरतीं , पानी उस पनघट से ,

आज वो पनघट सूना - सूना , नहीं  पनिहारियाँ  || 

 

पीपल , बरगद ,नीम की छाँव घनेरी , राही बैठें छाँव में ,

उन पेड़ों पर बहुत से पंछी , रहते थे घोंसलों  में ,

उन की मधुर आवाज गूँजती थी , उस गाँव में ,

उसी गाँव में हम तो घूमें , अपनी नींद के सपनों में   || 

 

No comments:

Post a Comment