Wednesday, June 4, 2025

SAANKAL ( CHANDRAMAA )

 

                                    साँकल 

 

खोल दे साँकल , अपने द्वार की चंदा ,

तभी तो तेरी दोस्त , आएगी अंदर चंदा ,

मिलेंगे दोनों  दोस्त , बहुत दिन बाद चंदा ,

होंगी ढेरों बातें , आपस में चंदा  || 

 

तेरा द्वार जब  खुलेगा , हम दोनों मिलेंगे ,

चाय की चुस्की के संग , दोनों बातें करेंगे ,

मुस्कानों में डूब सारे , खुश हम को करेंगे ,

ऐसे ही तो जीवन , व्यतीत हम करेंगे  || 

 

रोज मिलें ना मिलें हम , मगर जल्दी हम मिलेंगे ,

दोस्ती की मुस्कुराहटें , हम साथ में जियेंगे ,

इन्हीं मुस्कुराहटों में तो , हम डूबे रहेंगे  || 

 

अब जाती हूँ मैं , तू  द्वार बंद कर ले चंदा ,

अपने द्वार की तू , साँकल चढ़ा ले चंदा ,

फिर से जब मैं आऊँगी , साँकल खड़काऊँगी चंदा ,

तब आज की तरह , तू खोलना साँकल अपने द्वार की चंदा  || 

 

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