महकाएँ
निंदिया की ओढ़नी ओढ़कर , सपनों की लड़ियाँ जाग गईं ,
मुस्कानों की ओढ़नी ओढ़कर ,फूलों की लड़ियाँ जाग गईं ,
खुश्बुओं की ओढ़नी ओढ़कर , बगिया सारी महक गई ||
जीवन की राहें जोड़कर , जब साथ में हम चलते हैं ,
मंजिल तो दूर नहीं है , पग - पग हम चलते जाते हैं ,
मंजिल को पाने के लिए , जीवन भर हम चलते जाते हैं ||
राही जब एक मंजिल के हों , तो सारा ही रास्ता ,
एक मुस्कान के साथ , बीत जाता है ,
समय भी जल्दी ही , बीत जाता है ,
चलो मुस्कान बनकर , अपनी बगिया महकाएँ ||
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