पायल
आने दो हवाओं को , खोल दो खिड़कियाँ सारी ,
छाने दो घटाओं को , चमकने दो ये दामिनी ,
दामिनी चमकेगी , तभी तो सब की आँखें चमकेंगीं ||
बरसने दो रिमझिम बारिश को ,
आँगन में पानी भरने दो , बच्चे खेलेंगे ,
तैरने दो कागज की , कश्तियों को पानी में ,
याद कर लो तुम भी , अपने बचपन को ||
इसी बरखा से तो , जिंदगी पनपेगी ,
इसी बरखा से तो , नदिया छलकेगी ,
इसी बरखा से तो , बगिया महकेगी ,
इसी बरखा से तो , पायल छनकेगी ||
इन्हीं हवाओं में , इन्हीं घटाओं में ,
इन्हीं बरसातों में , इन्हीं कश्तियों में ,
इन सभी में ,संगीत के सुर सजते हैं ,
इन सभी में , सभी के दिल धड़कते हैं ||
No comments:
Post a Comment