Friday, June 20, 2025

MAHAKAA LO ( JIVAN )

 

                              महका लो 

 

जो पल बीत गए यारों , अपनी वो यादें छोड़ गए  ,

जो कल आएँगे यारों , अपने संग क्या वो लाएँगे  ?

बीते पल को बदल नहीं सकते ,

भावी कल को जान नहीं सकते  ,

तो फिर चिंता कैसी  ?  आने दो कल को   || 

 

जैसा भी हो , व्यतीत समय तो होता है ,

ना वो रुकता है , ना रोका जा सकता है ,

ना ही उसको  ,बदला जा सकता है  ,

तो फिर चिंता कैसी  ? उसे तुम स्वीकार करो  || 

 

समय नहीं घड़ियों का  कैदी , ये तो दिल की धड़कन  ,

समय नहीं द्वारों का कैदी  , ये तो खुला झरोखा  ,

समय नहीं काँटों का कैदी , उससे जीवन महका लो  || 

 

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