महका लो
जो पल बीत गए यारों , अपनी वो यादें छोड़ गए ,
जो कल आएँगे यारों , अपने संग क्या वो लाएँगे ?
बीते पल को बदल नहीं सकते ,
भावी कल को जान नहीं सकते ,
तो फिर चिंता कैसी ? आने दो कल को ||
जैसा भी हो , व्यतीत समय तो होता है ,
ना वो रुकता है , ना रोका जा सकता है ,
ना ही उसको ,बदला जा सकता है ,
तो फिर चिंता कैसी ? उसे तुम स्वीकार करो ||
समय नहीं घड़ियों का कैदी , ये तो दिल की धड़कन ,
समय नहीं द्वारों का कैदी , ये तो खुला झरोखा ,
समय नहीं काँटों का कैदी , उससे जीवन महका लो ||
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