Sunday, December 22, 2024

ADHIKAAR ( KSHANIKAA )

 

                               अधिकार 


अपने जीवन में हम ,लगातार अपने कर्त्तव्य पूरे करते हैं ,

पूरी जिम्मेदारी से कर्त्तव्य पथ पर ,चलते रहते हैं  || 


ऐसा करते -करते हम ,जिन्हें प्यार करते हैं ,

उन्हें कुछ अधिकार ,दिए चले जाते हैं || 


उन्हीं अधिकारों को ,देते हुए हम भूल जाते हैं ,

कि इन अधिकारों की ,कोई सीमा होनी जरूरी है || 


हम बेहिसाब अधिकार दे देंगे ,तो आगे की राह कैसी होगी ? 

हमें पता तब चलता है ,जब वह राह हमारे सामने आती है || 


अधिकार लेने वाले ,हमारे हर कदम पर अपने मिले ,

अधिकार का ताला जड़ देते हैं ,और हम कैदी बन जाते हैं || 


हमारे हँसने ,हमारे रोने ,हमारी जिंदगी के हर कदम पर ,

वो अपना अधिकार मान कर ,हमें घर में ही कैदी बना लेते हैं || 


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