प्यार का ?
दुनिया बहुत बड़ी है बंधु ,कैसे पाओगे पार ?
जीवन तो छोटा है बंधु ,जीवन के दिन चार ||
दुनिया से भी बड़ा है बंधु ,आपस में पलता प्यार ,
ये दुनिया तो नापी जा सकती ,रह जाता है प्यार ||
प्यार छिपा है माँ के दिल में ,उनके आँचल में प्यार ,
उसी में सभी के जीवन का ,छिपा है बंधु सार ||
उसी प्यार को भर लो बंधु ,तुम तो अपने दिल में ,
मुस्कानें बना कर बिखरा लो ,बंधु अपना प्यार ||
प्यार की गागर को ,भर कर बिखरा लो सब में ,
सबको दो - दो घूँट पिला दो ,जल वह प्यार का ||
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