Monday, December 16, 2024

PYAAR KAA ? ( KSHANIKAA )

 

                                  प्यार  का  ? 


दुनिया बहुत बड़ी है बंधु ,कैसे पाओगे पार ?

जीवन तो छोटा है बंधु ,जीवन के दिन चार || 


दुनिया से भी बड़ा है बंधु ,आपस में पलता प्यार ,

ये दुनिया तो नापी जा सकती ,रह जाता है प्यार || 


प्यार छिपा है माँ के दिल में ,उनके आँचल में प्यार ,

उसी में सभी के जीवन का ,छिपा है बंधु सार || 


उसी प्यार को भर लो बंधु ,तुम तो अपने दिल में ,

मुस्कानें बना कर बिखरा लो ,बंधु अपना प्यार || 


प्यार की गागर को ,भर कर बिखरा लो सब में ,

सबको दो - दो घूँट पिला दो ,जल वह प्यार का || 


No comments:

Post a Comment