कॉलेज वाला प्यार
कॉलेज में जाने के बाद ,बच्चे सोचते हैं ,
हम बहुत बड़े हो गए हैं ,एंजॉय करेंगे ,
सुनहरे से सपने ,तो सभी देखने लगते हैं ||
हम भी जब कॉलेज गए ,ऐसी ही सोच थी ,
ऐसे ही सपने थे हमारे ,कॉलेज में बड़ी सी लाइब्रेरी ,
बड़ा सा कैंपस ,मानो मिला खुला आसमान था ||
प्रौफेसर आकर लैक्चर देते और चले जाते ,
सभी पीरियड खत्म होने के बाद ,
हम लाइब्रेरी में चले जाते ,दुनिया भर का ,
ज्ञान वहाँ फैला दिखाई देता था ,
मनपसंद पुस्तकें देख कर ,दिल खुश हो जाता था ||
पुस्तकें इशू करा कर घर आते ,
पुस्तकों में डूब ही जाते ,कुछ भी ध्यान ना रहता ,
बहुत समय बीत जाता ,कुछ पता नहीं चलता ,
ये प्यार हमारा कॉलेज के लिए था ,
वहाँ के वातावरण के लिए था ,
अपने सपनों के लिए था दोस्तों
आज याद आते हैं ,कॉलेज के वो सुनहरे दिन ,
वो दोस्तों के साथ ,कॉलेज कैंटीन में बैठकर ,
ली गईं चाय की चुस्कियों के साथ ,लगाए गए ठहाके ,
आज भी होठों पर ,मुस्कानें खिला देते हैं ,
काश फिर वह दिन ,आज भी लौट सकते ,
मगर यह ख्वाहिश ,तो नामुमकिन है दोस्तों ||
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