हिसाब
दुनिया में आते हुए ,जो लाए हम किताब ,
नहीं एक भी शब्द था ,उसमें लिखा जनाब ,
लिखते जाओ रोज उसमें ,अच्छे कर्मों का हिसाब ||
जीवन पूरा होगा जब तक ,जब भी भरेगी ये किताब ,
जाने का वक्त भी हो जाएगा ,इस दुनिया से ,
उस दुनिया में पहुँच कर ही ,होगा कर्मों का हिसाब ||
किसी के लिए अच्छा करें या ना करें ,
पर किसी को हम हानि ना पहुँचाएँ ,
यही एक बहुत अच्छा ,कर्म होगा हमारा ,
इसी से जुड़ा होगा ,हमारे कर्मों का हिसाब ||
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