Thursday, July 31, 2025

PUKAAR SAAGAR KII ( RATNAAKAR )

 

                             पुकार सागर की 

                 

पुकार जो सुनी हमने सागर की ,दिल में , लहरें मचल उठीं , 

मचल - मचल के वो बोलीं , चलो चलें , सागर तट पर ,

सुनकर  हम तो चल दिए , जाने को , सागर तट पर  || 

 

सागर की पुकार ने , बीते दिन , याद दिलाए ,

जब सागर संग हमने ,थे सुंदर , दिन बिताए  ,

सागर और हम बने , थे एक , दूजे के लिए  || 

 

सागर की गहराईयों में , हम जब ,डूबे दोस्तों ,

जीवन हमारा खुशनुमा ,मौसम ही , बन गया ,

संसार हमारा खिल गया , सागर के , घर जाकर  || 

 

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