Tuesday, July 29, 2025

CHITTHIYAAN ( KSHANIKAA )

  

                                 चिट्ठियाँ 

 

बहुत समय बीत गया , चिट्ठी नहीं आई सखि ,

बरसों पहले तो हर , हफ्ते चिट्ठी आती थी सखि ,

प्यार भरी चिट्ठी पाकर , हम खुश होते थे सखि ,

मगर इस निगोड़े मोबाइल ने , हमारी ये खुशी है चुराई  ||  

 

आज तो ना कोई , डाक बाबू आता है सखि ,

इंतजार तो बढ़ता ही जाता , ना आती कोई चिट्ठी ,

प्यार में डूबे शब्द , लिखे उनकी कलम से नहीं मिलते ,

कोई तो कहो समय से , वापस लौटा दे  हमारी  चिट्ठी  || 

 

कौन लौटाएगा उस समय को , जब मिलेंगी चिट्ठियाँ  ?

मन डूब जाएगा पढ़कर , वो प्यारी पतियाँ  ,

क्या  कोई कर पाएगा मेरा काम , लौटाएगा बीता समय  ?

मेरे जीवन की वो चिट्ठियाँ ,प्यार ,मनुहार भरी चिट्ठियाँ सखि  || 

 

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