Wednesday, July 16, 2025

KHULE DIL SE ( KSHANIKAA )

 

                            खुले दिल से 

 

मत सोचो कौन , कब और क्यों बदल गया  ?

ये सब तुम्हारे वश में नहीं है दोस्तों , तो सोचो भी क्यों  ?

तुम स्वयं भी तो बदल रहे हो दोस्तों ,

उम्र बढ़ रही है , साथ में शरीर में बदलाव आएँगे ही   || 

 

शारीरिक शक्ति भी कम होती जाती है ,

सहन शक्ति की सीढ़ी ,कदमों को उतारने लगती है ,

पुरानी यादें दिल में उमड़कर , सीढ़ी चढ़ जाती हैं  ,

तो दोस्तों मत सोचो ,  ऐसा क्यों हो रहा है  ?? 

 

सब कुछ कैसे , और  क्यों बदलता है   ?

बदलाव है जीवन का नियम , प्रकृति का नियम ,

तो फिर ये क्यों और कैसे  , कब और कौन  ?

हर बदलाव को स्वीकार करो , खुले दिल से   || 

 

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