अहंकार
अहंकार में डूबे बंदे , तू क्यों इतना इतराए ?
जीवन तो उसने दिया है , और वो ही इसे चलाए ,
क्या तूने कमाया है ? क्या तूने समेटा है ?
तू तो इतना भी ना जाने , ये सभी उसी ने दिया है ||
उसी से पाए हुए को , उसी को तू दिखलाता है ,
उसी को अपनी कमाई कह कर , तू अपना हक जतलाता है ,
खुद को ऊँचासमझ कर , दूजों को नीचा दिखलाता है ,
अगर वो अपना दिया ले लेगा , तो तू क्या कर जाता है ??
ना जाने तू कब समझेगा ? आज तक तो तू नहीं समझा ,
लिया तूने झोली भरकर , शुक्रिया ना बोला उसको ,
फिर जीवन में क्या किया ? व्यर्थ ही जीवन बिताया ,
अब संभल जा बंदे , जीवन को व्यर्थ ना बिता अपने ,
जीवन को सफल कर ले , सफल कर ले ||
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