Monday, July 28, 2025

SAMBHAL JAO ( KSHANIKAA )

 

                                संभल जाओ 

 

सहयोग करो या बाँटो मुस्कान ,मत सोचो बढ़ेगी शान ,

ये गुण तो हैं दोस्तों , तुम्हारी अपनी सोचों की खान ,

इन गुणों को है तुमने अपनाया , इन्हीं में बसी तुम्हारी जान ,

सोचो तुम जो आया जग में ,वह है इस जग में मेहमान  || 

 

जब कोई जग से जाता है , पहुँचे वो परम पिता के धाम ,

आशीष जो उनका मिल जाता ,खिल जाती है उसकी मुस्कान ,

 तभी तो सुंदर समय बीतता , परम पिता के धाम  || 

 

इस जग को तुम , ऐ जग वालों ,रखो इसे संभाल ,

इसे भी उसी ने है बनाया , फूलों से भरा महकता बाग ,

तुम क्यों गड़बड़ करते , मत बिगाड़ो उसका बनाया धाम ,

संभल जाओ , संभल जाओ , संभल जाओ  || 

 

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