संभल जाओ
सहयोग करो या बाँटो मुस्कान ,मत सोचो बढ़ेगी शान ,
ये गुण तो हैं दोस्तों , तुम्हारी अपनी सोचों की खान ,
इन गुणों को है तुमने अपनाया , इन्हीं में बसी तुम्हारी जान ,
सोचो तुम जो आया जग में ,वह है इस जग में मेहमान ||
जब कोई जग से जाता है , पहुँचे वो परम पिता के धाम ,
आशीष जो उनका मिल जाता ,खिल जाती है उसकी मुस्कान ,
तभी तो सुंदर समय बीतता , परम पिता के धाम ||
इस जग को तुम , ऐ जग वालों ,रखो इसे संभाल ,
इसे भी उसी ने है बनाया , फूलों से भरा महकता बाग ,
तुम क्यों गड़बड़ करते , मत बिगाड़ो उसका बनाया धाम ,
संभल जाओ , संभल जाओ , संभल जाओ ||
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