टेढ़े - कदम
जिंदगी ने बख्शीं हमें सीधी - सीधी राहें ,
मगर हमें ही चलना नहीं आया ,
तो कैसे चलते सीधे हम उन राहों पर ?
हम नहीं जानते सीधा चलना ,
हमें तो आदत है , टेढ़ी राहों पे चलने की ||
दुनिया में आने वाला मानव ,
टेढ़ी चाल लेकर आया , टेढ़ी सोच लेकर आया ,
दूसरों के जीवन में ,
जिसने आतंक फैलाया , उनको दुःखी बनाया ,
उसे तो आदत थी , हर ओर डर फैलाने की ||
चलो उसे पकड़कर , हम सिखाएँ सीधा चलना दोस्तों ,
हर गलत कदम से उसे दूर करें , सीधे काम सिखाएँ ,
उसे तो हम दिखाएँ राह , मुस्कानें फैलाने की ||
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