कहानी हमारी
मिले जो लेखनी को वरदान , बहुत से शब्दों का भंडार ,
जिससे हम लिख लें , कहानी अपने जीवन की ,
हम जो चाहें वही हमारी , कहानी में फले ,
हमारी मनचाही राह पर , हमारी कहानी चली चले ||
हम जो चाहें वैसे ही , कहानी में पात्र मिलें ,
जो प्यार और मुस्कान में , डूबें और डुबाएँ ,
उन पात्रों पर हम , पूर्ण विश्वास कर पाएँ ,
वो पूरी तरह से , विश्वास पात्र बन जाएँ ||
लेखनी से हमारी , निकलें मीठे - मीठे बोल ,
उन बोलों से मिलकर , हम रच लें मीठे - मीठे गीत ,
उन गीतों से आए , सब चेहरों पर मुस्कान ,
उन्हीं गीतों से उपजे , सब के दिलों में संगीत ||
तो दे दो ये वरदान , हमारी लेखनी को ,
शब्दों का भंडार , बसा दो लेखनी में ||
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