Friday, July 18, 2025

KAHAANII HMAARII ( KSHANIKAA )

 

                         कहानी हमारी 

 

मिले जो लेखनी को वरदान , बहुत से शब्दों का भंडार ,

जिससे हम लिख लें , कहानी अपने जीवन की ,

हम जो चाहें वही हमारी , कहानी में फले ,

हमारी मनचाही राह पर , हमारी कहानी चली चले  || 

 

हम जो चाहें वैसे ही , कहानी में पात्र मिलें  ,

जो प्यार और मुस्कान में , डूबें  और  डुबाएँ ,

उन पात्रों पर हम , पूर्ण विश्वास कर पाएँ ,

वो पूरी तरह से , विश्वास पात्र बन जाएँ  || 

 

लेखनी से हमारी , निकलें मीठे -  मीठे  बोल ,

उन बोलों से मिलकर , हम रच लें मीठे - मीठे गीत ,

उन  गीतों से आए , सब चेहरों पर मुस्कान ,

उन्हीं गीतों से उपजे , सब के दिलों में संगीत  || 

 

तो दे दो ये वरदान , हमारी लेखनी को ,

शब्दों का भंडार ,  बसा दो लेखनी में   || 

 

No comments:

Post a Comment