Tuesday, July 1, 2025

DIL - O - DIMAAG ( KSHANIKAA )

 

                         दिल - ओ - दिमाग 

 

समझ हमारे दिल और दिमाग की , आपस में भिड़ गईं दोस्तों ,

दिल ने कहा  ---- क्यों ढूँढते हो तर्क , हर बात में दिमाग तुम ,

किसी बात को  तो भावनाओं से , जोड़कर देखो दिमाग तुम , 

किसी बात की गहराई में , डूबकर देखो दिमाग तुम ,

हर बात में तर्कों का , गणित बिठा लेते हो दिमाग तुम ,

ना कोई प्यार बसा है , ना कोई मुस्कान खिली है होठों पर ,

कैसे रूखे से व्यवहार को , अपनाए हो दिमाग तुम   ?? 

 

अब दिमाग ने कहा ---- तुम तो दिल ,हर बात  में भावों में डूब जाते हो ,

प्यार और मुस्कानों की छाँव में , बैठ जाते हो दिल तुम ,

व्यवहार बेशक तुम्हारा मीठा है , भावों को समझते हो दिल तुम ,

तभी तो अपनों और दूजों के हाथों , लूट लिए जाते हो दिल तुम ,

कुछ तो समझो , कुछ तो जानो , इस दुनिया के तौर - तरीके ,

नहीं तो सब कुछ लुटाकर , आँसू बहाओगे दिल तुम  || 

 

फिर एक बात समझे दोनों , चलो हम आपस में जुड़ते हैं ,

एक दूसरे के गुणों को अपनाकर , रास्ता अलग बनाते हैं ,

और अपना जीवन सुखद बनाते हैं , मिलकर हम बनाते हैं ,

दिल - ओ - दिमाग के अनुसार  --- प्यार और मुस्कानों में ,

तर्क भरी सोच का गणित मिला कर ,

एक अलग सोच बनाते हैं , और नयी जिंदगी बना लेते हैं  || 

  

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