Thursday, July 31, 2025

PUKAAR SAAGAR KII ( RATNAAKAR )

 

                             पुकार सागर की 

                 

पुकार जो सुनी हमने सागर की ,दिल में , लहरें मचल उठीं , 

मचल - मचल के वो बोलीं , चलो चलें , सागर तट पर ,

सुनकर  हम तो चल दिए , जाने को , सागर तट पर  || 

 

सागर की पुकार ने , बीते दिन , याद दिलाए ,

जब सागर संग हमने ,थे सुंदर , दिन बिताए  ,

सागर और हम बने , थे एक , दूजे के लिए  || 

 

सागर की गहराईयों में , हम जब ,डूबे दोस्तों ,

जीवन हमारा खुशनुमा ,मौसम ही , बन गया ,

संसार हमारा खिल गया , सागर के , घर जाकर  || 

 

Wednesday, July 30, 2025

APANE YAA SAPANE ( KSHANIKAA )

 

                            अपने या सपने 

 

क्या लिखूँ  दोस्तों  ? क्या कहा , मन की बात लिखूँ  ?

ऐसा करूँ तो शब्द रूठ जाते हैं  , सच रूठ जाता है ,

और सच में डूबे , शब्द लिख दूँ तो ,

मेरे अपने रूठ जाते हैं  || 

 

क्यों  ? सच उन्हें कड़वा लगता है , 

अपने ऊपर तीखा व्यंग्य लगता है , 

तो क्या करूँ ? ऐसा कैसे लिखूँ  ?

कि मन की भी इच्छा पूरी हो ,

सच में डूबे शब्द भी लिख पाऊँ , और अपने भी ना रूठें  || 

 

अपनों और सपनों में , एक बड़ा संबंध है दोस्तों ,

अपने हैं तो सपने सो गए , और सपने जागे तो अपने दूर हुए ,

हमने तो दोस्तों अपनों की खातिर ,सपनों को दूर कर दिया , 

ऐसा तो हो नहीं सकता दोस्तों , दोनों हमें मिल जाएँ  ||  

 

Tuesday, July 29, 2025

CHITTHIYAAN ( KSHANIKAA )

  

                                 चिट्ठियाँ 

 

बहुत समय बीत गया , चिट्ठी नहीं आई सखि ,

बरसों पहले तो हर , हफ्ते चिट्ठी आती थी सखि ,

प्यार भरी चिट्ठी पाकर , हम खुश होते थे सखि ,

मगर इस निगोड़े मोबाइल ने , हमारी ये खुशी है चुराई  ||  

 

आज तो ना कोई , डाक बाबू आता है सखि ,

इंतजार तो बढ़ता ही जाता , ना आती कोई चिट्ठी ,

प्यार में डूबे शब्द , लिखे उनकी कलम से नहीं मिलते ,

कोई तो कहो समय से , वापस लौटा दे  हमारी  चिट्ठी  || 

 

कौन लौटाएगा उस समय को , जब मिलेंगी चिट्ठियाँ  ?

मन डूब जाएगा पढ़कर , वो प्यारी पतियाँ  ,

क्या  कोई कर पाएगा मेरा काम , लौटाएगा बीता समय  ?

मेरे जीवन की वो चिट्ठियाँ ,प्यार ,मनुहार भरी चिट्ठियाँ सखि  || 

 

Monday, July 28, 2025

SAMBHAL JAO ( KSHANIKAA )

 

                                संभल जाओ 

 

सहयोग करो या बाँटो मुस्कान ,मत सोचो बढ़ेगी शान ,

ये गुण तो हैं दोस्तों , तुम्हारी अपनी सोचों की खान ,

इन गुणों को है तुमने अपनाया , इन्हीं में बसी तुम्हारी जान ,

सोचो तुम जो आया जग में ,वह है इस जग में मेहमान  || 

 

जब कोई जग से जाता है , पहुँचे वो परम पिता के धाम ,

आशीष जो उनका मिल जाता ,खिल जाती है उसकी मुस्कान ,

 तभी तो सुंदर समय बीतता , परम पिता के धाम  || 

 

इस जग को तुम , ऐ जग वालों ,रखो इसे संभाल ,

इसे भी उसी ने है बनाया , फूलों से भरा महकता बाग ,

तुम क्यों गड़बड़ करते , मत बिगाड़ो उसका बनाया धाम ,

संभल जाओ , संभल जाओ , संभल जाओ  || 

 

Sunday, July 27, 2025

SOCH APNII ( KSHANIKAA )

 

                              सोच अपनी 

 

चलो अपनी मर्जी से , अपनी सोच से ,

रास्ता आसानी से पार हो जाएगा ,

किसी अन्य की मर्जी मत अपनाओ ,

रास्ता बहुत मुश्किल हो जाएगा ,

कोई भी रास्ता पार नहीं हो पाएगा ,

पहुँच से दूर हो जाएगा  || 

 

रास्ते जिंदगी के फूलों से भर जाएँगे ,

अगर तुम मुस्काओगे  ,

रास्ते जिंदगी के खुश्बुओं से महक जाएँगे ,

अगर तुम खिलखिलाओगे  ,

तो खुशी - खुशी जिंदगी के रास्ते ,

अपनी मर्जी से पार कर जाओगे   || 

 

दूसरों की मर्जी , दूसरों की सोच ,

तुम्हें कभी मुस्कानें नहीं दे पाएगी ,

मगर उनको तुम कोई ,अहमियत मत दो दोस्तों ,

और प्यार भरी मुस्कान , अपने होठों पर सजाए जाओ  ||  

Saturday, July 26, 2025

SAHYOG ( AADHYAATMIK )

 

                                 सहयोग 

 

सहयोग जमाए रखो , मगर स्वयं का सहारा ना बनाओ ,

सहयोग करोगे जिसके साथ ,उसकी दुआ तुम पाओगे  ||  

 

उम्मीदों को दूर कर दो , उम्मीद दूसरों को दो ,

और उनकी उम्मीदें पूरी भी करो , कभी मत तोड़ो ,

उम्मीदों को सहारा बनाओगे तो उनके ,

टूटने पर तुम बहुत दुःखी हो जाओगे   || 

 

स्वयं को सुखी बनाए रखो , 

प्रीत - प्यार में स्वयं को डुबाए रखो ,

मुस्कानों को होठों पर सजाए रखो , 

गीत प्रीत के रचाए रखो , तभी तो दुनिया में  ,

मुस्कानों को बाँट पाओगे   || 

 

यही तो तुम्हारी पूँजी है , इसी को समेट कर  ,

तुम अपने कर्मों की गठरी के रूप में लेकर  ,

परमात्मा के पास जा पाओगे  ,

और उनका आशीर्वाद ले पाओगे   || 

 

Friday, July 25, 2025

TEDHE - KADAM ( KSHANIKAA )

 

                                टेढ़े - कदम 

 

जिंदगी ने बख्शीं  हमें सीधी - सीधी राहें ,

मगर हमें ही चलना नहीं आया ,

तो कैसे चलते सीधे हम उन राहों पर  ?

हम नहीं जानते सीधा चलना  ,

हमें तो आदत है  , टेढ़ी राहों पे चलने की    || 

 

दुनिया में आने वाला मानव ,

 टेढ़ी चाल लेकर आया , टेढ़ी सोच लेकर आया ,

दूसरों के जीवन में  , 

जिसने आतंक फैलाया , उनको दुःखी बनाया , 

उसे तो आदत थी , हर ओर डर फैलाने की  || 

 

चलो उसे पकड़कर  , हम सिखाएँ सीधा चलना दोस्तों  ,

हर गलत कदम से उसे दूर करें , सीधे काम सिखाएँ ,

उसे तो हम दिखाएँ राह , मुस्कानें फैलाने की   || 

 

Thursday, July 24, 2025

DARD ( JIVAN )

 

                                  दर्द 

 

अपने दर्द को टुकड़ों में काटकर , बाँट दो ना दूसरों में ,

वो सब तो मजाक ही बनाएँगे , तुम्हारे दर्द का ,

वो नहीं बनेंगे मरहम , तुम्हारे दर्द के लिए ,

तो अपने दर्द को समेट कर , रख लो अपनी तिजौरी में  || 

 

दर्द तो होता है सभी के जीवन में , 

किसी में कम , किसी में अधिक ,

तो दर्द को छिपाए रखो अपने दिल में , 

अपने दिल की मुस्कान में , 

जीवन को सुंदर बनाने के लिए , यह जरूरी है दोस्तों ,

तो समझो इस बात को , कि जीवन सुंदर होना जरूरी है  || 

 

अगर तुम्हारे दर्द को , जान ले कोई , और मजाक बनाए ,

तो तुम उसके मजाक को ,  हँस कर टाल दो दोस्तों ,

तुम अपनी तिजौरी की चाबी , फेंक कर दरिया में डाल  दो ,

कहावत तो आपने सुनी होगी , " नेकी कर दरिया में डाल ", 

तो तुम अपने दर्द को तिजौरी में , 

बंद कर चाबी दरिया में फेंक दो , 

और खुशी - खुशी अपना जीवन बिताओ ,

ईश्वर की बनाई इस सुंदर - सी दुनिया में   || 

 

Wednesday, July 23, 2025

DHAAII AAKHAR ( DOHA )

 

                              ढाई  आखर 

 

संत कबीर दास जी ने कहा था दोस्तों -- ,

पोथी पढ़ि - पढ़ि जुग  भया , पंडित भया ना कोय ,

ढाई आखर प्रेम का , पढ़े सो पंडित होय  || 

 

दोस्तों सच है , बिल्कुल सच है ,

पर हम कुछ अलग कहना चाहते हैं ,

पोथी पढ़ि - पढ़ि जुग भया , अपना भया ना कोय ,

नहीं पढ़ा पाठ उन्होंने प्रेम का , तो अपना कैसे होय  ?? 

 

 कौन पढ़ाए पाठ उन्हें प्रेम का ? कैसे उन्हें समझाएँ  ?

रिश्तों की महिमा उन्हें , कैसे और कौन समझाए  ?? 

 

कौन लेगा ये जिम्मेदारी आज दोस्तों  ?

क्या आप ले सकते हैं , या कबीर दास जी  ?

काश आज वो होते तो , कितना अच्छा होता   ?? 

ठीक कहा ना मैंने  ?? 

 

Tuesday, July 22, 2025

INSAANIYAT ( KSHANIKAA )

 

                                      इंसानियत 

 

जब चाहा हमने , प्यार करना मानवता से ,

विश्वास करना इंसानियत पे , 

तब हमारा विश्वास कायम रहा दोस्तों ,

ये विश्वास दिलो - दिमाग में रहेगा ,

तो इंसानियत भी जिंदा रहेगी ,

मुस्कान को जगा कर ,इन सब को जगाए रखो   || 

 

प्यार करने से मानवता सुरक्षित रहेगी ,

और मानव का संसार भी , 

तभी तो ये दुनिया भी सुरक्षित रहेगी , और ब्रह्मांड भी ,

पूरे ब्रह्मांड में मुस्कानों का खजाना फैलेगा , 

तारों की तरह मुस्कानें भी चमकेंगी  || 

 

गगन में जब मानवता और इंसानियत के लिए ,

प्यार और विश्वास की मुस्कानें टिमटिमाएँगी ,

तभी तो धरती का आँचल भी उनसे जगमगाएगा ,

तो दोस्तों बताओ , क्या आवश्यक है  ?

प्यार , विश्वास , धरती के आँचल की जगमगाहट ,

स्वयं भी मुस्कुराइए और जीवन को भी जगमगाइए   || 

 

KAREEB DIL KE ( KSHANIKAA )

 

                       करीब  दिल के 

 

दिल के कुछ दर्द ऐसे होते हैं , 

जो बताए नहीं जाते किसी को भी ,

उनकी कोई दवा भी नहीं होती ,

और ना ही दुआ उन पर असर करती ,

तो कैसे उसे ठीक करें हम दोस्तों  ? कोई इलाज तो बताओ  || 

 

उस दर्द के लिए कोई , एक्स - रे भी नहीं किया जा सकता ,

जिससे कोई डॉक्टर , कर सके उसका इलाज ,

और हमें मिल सके ,आराम जीवन में  || 

 

दिल के जुबां नहीं होती , कि  वह  अपना दर्द बता सके ,

जुबां के दिल नहीं होता , कि दिल का दर्द बता सके ,

दिल के दर्द भी ,हर किसी  को बताए  नहीं जाते ,

क्योंकि हर कोई दिल के , बहुत करीब नहीं होता  ||  

 

Sunday, July 20, 2025

OONCHAAIYAAN ( KSHANIKAA )

 

                            ऊँचाईयाँ 

 

कीमत मेरे प्यार की , कब समझोगे तुम  ?

प्यार के बदले प्यार ही , कब भेजोगे तुम  ?

जीवन की राहों में , दौड़ लगाना बहुत जरूरी है ,

तो बता दो मुझको , कब मेरे संग दौड़ोगे तुम   ?? 

 

आसमान की ऊँचाईयाँ  बहुत हैं , 

मगर चढ़ना  तो बहुत  जरूरी है ,

तो आज तुम बता दो , उन ऊँचाईयों को ,

कब तक पा लोगे तुम   ?? 

 

थाम लो सीढ़ी , जो गगन तक जाती है ,

उस पर चढ़ कर , गगन तक पहुँचो तुम ,

मैं भी उसी सीढ़ी पर चढ़ कर , पहुँचुँगी  गगना तक ,

तभी तो प्यार तुम्हारा पाऊँगी ,

ऊँचाईयों पर पहुँचे इंसान को   ही  ,

प्यार की अनमोल दौलत मिलती है  || 

 

Saturday, July 19, 2025

SHABD SUNAHARE ( KSHANIKAA )

 

                                शब्द सुनहरे 

 

सुनहरे शब्दों ने कहा हम से , पिरो लो हमको एक लड़ी में ,

ताकि हम भी जुड़ सकें , किसी के दिल की कड़ी में ,

जीवन सभी का जुड़ा रहे , किस्मत से बंधी लड़ी में ,

उन्हीं शब्दों की लड़ी को , पिरो लो दिल की घड़ी में  || 

 

शब्दों से बनी कहानी , हमारी जिंदगी से जुड़ी ,

जिंदगी जो चलती जा रही ,हर पल और हर घड़ी ,

कोई भी शब्द ऐसा नहीं , जो अपना रंग छोड़ दे  ,

हर शब्द पर जो रंग चढ़ा , वो डूबा था प्यार में  || 

 

शब्दों के इस जहां में , सबसे है कीमती ,

जिंदगी की वो घड़ी , जो थी प्यार में डूबी  || 

 

Friday, July 18, 2025

KAHAANII HMAARII ( KSHANIKAA )

 

                         कहानी हमारी 

 

मिले जो लेखनी को वरदान , बहुत से शब्दों का भंडार ,

जिससे हम लिख लें , कहानी अपने जीवन की ,

हम जो चाहें वही हमारी , कहानी में फले ,

हमारी मनचाही राह पर , हमारी कहानी चली चले  || 

 

हम जो चाहें वैसे ही , कहानी में पात्र मिलें  ,

जो प्यार और मुस्कान में , डूबें  और  डुबाएँ ,

उन पात्रों पर हम , पूर्ण विश्वास कर पाएँ ,

वो पूरी तरह से , विश्वास पात्र बन जाएँ  || 

 

लेखनी से हमारी , निकलें मीठे -  मीठे  बोल ,

उन बोलों से मिलकर , हम रच लें मीठे - मीठे गीत ,

उन  गीतों से आए , सब चेहरों पर मुस्कान ,

उन्हीं गीतों से उपजे , सब के दिलों में संगीत  || 

 

तो दे दो ये वरदान , हमारी लेखनी को ,

शब्दों का भंडार ,  बसा दो लेखनी में   || 

 

Thursday, July 17, 2025

TAANAA - BAANAA ( JIVAN )

 

                             ताना - बाना 

 

जिंदगी की चादर जो ओढ़ी हमने ,

साँसों के ताने - बाने मिले ,

उनमें उलझनों की सिलवटें भी हैं ,

मगर मुस्कानों के फूल भी हैं ,

तो दोस्तों साँसों के ताने - बाने में ,

फूल खिलाते जाओ  || 

 

हमारे पास तो ना सुईं है , और ना ही धागा है ,

जो ताने - बाने में बनने वाले , 

छेदों को रफू कर लें ,

तो दोस्तों ताने - बाने को ,

ठीक रखने के लिए मुस्कुराते जाओ  || 

 

एक बात बताऊँ दोस्तों ,

ताने - बाने को ठीक रखने के लिए ,

मुस्कुराहट जरूरी है और , 

मुस्कुराहट के लिए प्यार जरूरी है ,

तो दोस्तों  ताने - बाने को सुंदर ,

रखने के लिए प्यार करते जाओ   || 

 

Wednesday, July 16, 2025

KHULE DIL SE ( KSHANIKAA )

 

                            खुले दिल से 

 

मत सोचो कौन , कब और क्यों बदल गया  ?

ये सब तुम्हारे वश में नहीं है दोस्तों , तो सोचो भी क्यों  ?

तुम स्वयं भी तो बदल रहे हो दोस्तों ,

उम्र बढ़ रही है , साथ में शरीर में बदलाव आएँगे ही   || 

 

शारीरिक शक्ति भी कम होती जाती है ,

सहन शक्ति की सीढ़ी ,कदमों को उतारने लगती है ,

पुरानी यादें दिल में उमड़कर , सीढ़ी चढ़ जाती हैं  ,

तो दोस्तों मत सोचो ,  ऐसा क्यों हो रहा है  ?? 

 

सब कुछ कैसे , और  क्यों बदलता है   ?

बदलाव है जीवन का नियम , प्रकृति का नियम ,

तो फिर ये क्यों और कैसे  , कब और कौन  ?

हर बदलाव को स्वीकार करो , खुले दिल से   || 

 

Tuesday, July 15, 2025

GAVAAH ( AADHYAATMIK )

 

                               गवाह 

 

बाँध ले गठरी कर्मों की , सत्कर्मों की बंधु ,

वही तो काम आएगी , हमारे साथ जाएगी ,

जब अंत समय हमारा आएगा , वही तो साथ निभाएगी ,

परमात्मा के दरबार में , वही तो गवाह बन जाएगी   || 

 

वहाँ तो गवाही सत्कर्म ही देंगे , वही सहारा देंगे हमको ,

वही तो परमात्मा के साथ , हमें रख पाएँगे ,

उनका प्यार दिलाएँगे , उनका आशीष दिलाएँगे ,

तो बंधु जीवन भर , गठरी में सत्कर्म बाँध लो   || 

 

कीमत सत्कर्मों की जानो तुम  , ये ही सच्चे साथी हैं ,

प्यार परमात्मा का लेने को , ये ही सच्चे साथी हैं  ,

आशीष तभी मिलेगा तुम को , जब सच्चे साथी होंगे  ,

तो बंधु समझ गए ना   ??

  

Monday, July 14, 2025

WAFAADAAR ( KSHANIKAA )

 

                          वफादार 

 

दिल ले के चला गया , और धोखा दे गया कोई ,

वादे वफा के कर के , बेवफा हो गया , दिल में रहने वाला ,

हाथ मलते हम रह गए , और धोखा खा गए   || 

 

ऐसे में क्या करते हम  ?  कैसे उसे बुलाते  ? 

जिंदगी की राहों में काँटे बिछा गया , धोखा दे गया ,

उदासियाँ पिरो गया , हमारे होठों की मुस्कानों में   || 

 

काश समझ लेता वो , हमारे दिल की धड़कनें ,

कायम रहने देता वो , हमारे होठों की मुस्कानें ,

दिल ले लिया उसने , मगर मुस्कानें तो वापस कर दे ,

जिंदगी की राहों से , काँटे तो साफ कर दे ,

बेवफाई को दूर करके , वफादार बन जाए   || 

 

Sunday, July 13, 2025

AHANKAAR ( AADHYAATMIK )

 

                       अहंकार  

 

अहंकार में डूबे बंदे , तू क्यों इतना  इतराए  ?

जीवन तो उसने दिया है , और वो ही इसे चलाए ,

क्या तूने कमाया है ? क्या तूने समेटा है  ? 

तू तो इतना भी ना जाने , ये सभी उसी ने दिया है  || 

 

उसी से पाए हुए को , उसी को तू दिखलाता है ,

उसी को अपनी कमाई कह कर , तू अपना हक जतलाता है ,

खुद को  ऊँचासमझ कर , दूजों को  नीचा दिखलाता है  ,

अगर वो अपना दिया ले लेगा , तो तू क्या कर जाता है  ??

 

ना जाने तू कब समझेगा  ? आज तक तो तू नहीं समझा ,

लिया  तूने झोली भरकर , शुक्रिया ना बोला उसको ,

फिर जीवन में क्या किया  ? व्यर्थ ही जीवन बिताया ,

अब संभल जा बंदे , जीवन को व्यर्थ ना बिता अपने  ,

जीवन को सफल कर ले  , सफल कर ले  || 

 

 

Saturday, July 12, 2025

FAISLAA ( SAMAJIK )

 

                            फैसला 

 

कीमत तुम्हारे बोलों की क्या है बंधु  ?

 क्या तुम जानते हो  ?

प्यार भरे बोलों की कीमत , तो अनमोल है ,

तुम जानो दोस्तों  ,

नफरत भरे बोल की कीमत तो ,

कुछ भी नहीं है दोस्तों   || 

 

क्या तुम अनमोल बोल देना , पसंद करोगे  ?

बताओ जरा ,

इन बोलों को देकर तुम , अनमोल ही तो कहलाओगे ,

सोचो जरा ,

तो दोस्तों तुम इसी कदम को बढ़ाओ ,

और प्यार भरे बोल दूसरों को दो  || 

 

क्या तुम नफरत फैलाने में , अपना कदम बढ़ाओगे  ?

बताओ तो ,

तो क्या कीमत पा जाओगे तुम  ?

सोचो जरा इस बात को ,

ये तो साँप - सीढ़ी जैसा खेल है दोस्तों  ,

प्यार सीढ़ी के समान है , और नफरत साँप जैसा ,

अब फैसला तुम्हारा है दोस्तों , 

चुन  लो कुछ भी , जो तुम चाहो  || 

 

Friday, July 11, 2025

WAAPIS ( AADHYAATMIK )

 

                         वापिस 

 

कल को भूल जा बंदे , ना फिक्र कर जो बीत गया ,

आने वाले पल की फिक्र भी , करने से क्या होगा  ? 

जो लिखवा कर लाया है  , वह तो होगा ही होगा  || 

 

अभी तू अच्छे कर्म कर बंदे , वही तेरे हाथ में है अब ,

समय की गठरी में तो , वही कर्म बाँधे जाएँगे ,

वापिसी पर तेरे संग , वही तो कर्म जाएँगे  || 

 

प्यार तू बाँट दे सब में , वही तो कर्म है तेरा  ,

ये जग तो बंदे , है तेरा रैन बसेरा  ,

जितने दिन को तू आया है , उतना ही तुझे रहना  ,

उसके बाद तो बंदे , वापिस तूने जाना है  || 

 

Thursday, July 10, 2025

MAUKAA ( KSHANIKAA )

 

                                  मौका 

 

जिंदगी हर किसी को , एक समान मौका नहीं देती ,

सबको मिलने वाले मौके , अलग - अलग होते हैं ,

चिंता करनी व्यर्थ है दोस्तों , सबको  अपनी सोच के  ,

 अनुसार ही , उस मौके का प्रयोग करना होता है   || 

 

आपकी सामर्थ्य ही , उस मौके का लाभ दिलाएगी ,

तो पूर्ण सामर्थ्य के अनुसार , उसका लाभ उठाइए ,

और अपने जीवन को , ऊँचाइयों तक ले जाइए ,

तभी तो मंजिल , अपनी पाओगे दोस्तों   || 

 

शांत मन से फैसला करोगे , तो सब उत्तम होगा  ,

अगर आपका मन अशांत होगा , तो कुछ भी उचित नहीं होगा ,

अब सोच लो दोस्तों , आपका क्या निर्णय है   ?? 

 

Wednesday, July 9, 2025

RAAHEN ( JIVAN )

 

                                राहें 

 

दुनिया की और जिंदगी की , सभी राहें सीधी हैं दोस्तों ,

मुश्किल उन्हीं को होती है , जिसकी चाल टेढ़ी होती है  || 

 

दुनिया में और जिंदगी में , मुस्कानें बिखरी हैं  ,

सोचों की उदासियाँ छोड़ कर  , मुस्कानें समेट लो  || 

 

मुस्कानों को समेटते ही , तुम्हें दुनिया को देखने का  ,

नजरिया ही बदल जाएगा ,

हर ओर फूलों के  रंग नजर आएँगे  || 

 

उन रंगों को देखते ही , उनमें छिपी तितलियाँ ,

और महक को , महसूस करोगे तुम दोस्तों  ,

तो तुम्हारा जीवन ही , महक जाएगा दोस्तों  || 

 

Tuesday, July 8, 2025

CHAMCHAMAATII ( CHANDRAMAA )

 

                            चमचमाती 

 

चाँद जब चमकता है  रातों में , रात चमचमाती ,

रात के अँधेरे में भी ,चाँदनी चमचमाती ,

नीले गगना पे हैं , तारे झिलमिलाते  ,

सभी धरावासियों के होठों पर , मुस्कान  लाते   || 

 

खिलखिला कर  रात को , चंदनिया चमचमाती ,

जिससे रात की भी तो , कालिख धुल जाती  ,

रात के अँधेरे में छुपी , राहें भी उजलातीं  ,

जिससे सभी राहगीरों के सामने , राहें चमचमातीं  || 

 

चाँद भी तो गगना में , मुस्कुराता है ,

सभी धरावासियों को , मुस्काना सिखाता है ,

मुस्कुरा कर सभी मानो , नया जीवन पाते हैं  ,

तभी तो चाँद और चाँदनी के , किस्से गाते हैं   || 

 

Monday, July 7, 2025

MOD JINDGII KE ( KSHANIKAA )

  

                           मोड़ जिंदगी  के 

 

जिंदगी कितने मोड़ लाती हो  ? थकती नहीं हो क्या  ?

सबकी जिंदगी में लाती हो , या कुछ जिंदगियाँ चुन लेती हो  ?

हम प्यार तुम्हें करते हैं , क्या तुम भी हमें प्यार करती हो  ??

 

मोड़ों से अक्सर लोग घबराते हैं , मोड़ों को छोड़ जाते हैं  ,

या मोड़ों की भूल - भुलैयाँ में फँस जाते हैं , तो क्या करना जरूरी है  ? 

मोड़ों के साथ मुड़ते - मुड़ते , मन शांत रखकर ध्यान रखिए  || 

 

मन  के शांत  रहने पर , दिल - दिमाग ठीक निर्णय लेते हैं ,

और आगे कदम बढ़ाते ,चले जाते हैं दोस्तों  ,

और जिंदगी को सुंदर तरीके से , बिताते चले जाते हैं   || 

 

तो मोड़ों से घबराइए ना , आगे बढ़ते जाइए  ,

जिंदगी जो मिली है , उसे दिल से अपनाइए ,

अपने क़दमों के निशां , इस जग में छोड़ते जाइए  || 

 

Sunday, July 6, 2025

ULJHAAYAA ( JALAD AA )

 

                             उलझाया 

 

बदरा जब दामिनी के साथ , गगन में छाया ,

उसने  बूँदों के हाथ एक , पैगाम भिजवाया ,

मेरा प्यार अपनाओ , मेरे प्यार में खो जाओ  || 

 

दामिनी ने भी अपनी चमक में ,सब को समाया ,

सब को अपनी चमक से लुभाया ,

उसका प्यार इतना , शक्तिशाली था ,

कि उसने सभी में , प्यार  का जादू जगाया  || 

 

सब बह  गए , बदरा की बूँदों में ,

बदरा का प्यार पहुँचा , सभी की राहों में ,

दिल मुस्कुरा के बदरा के , प्यार में डूबे ,

खिलखिला कर बूँदों ने , अपना जाल बिछाया ,

सभी दिलों ने उस  जाल में , खुद को उलझाया ,

आओ दोस्तों , हम भी उसी , जाल में उलझ जाएँ   || 

 

Saturday, July 5, 2025

GYAAN ( GEET )

 

                                   ज्ञान 

 

ज्ञान से भरा पड़ा संसार बंधु  , 

ज्ञान से भरा पड़ा संसार  ||  

 

तुम भी उससे कुछ गुण चुन लो , अपना उन्हें बना लो ,

उनसे ही तुम अपने , मन - मंदिर को सजा लो बंधु ,

ज्ञान से भरा ------  || 

 

हर बगिया तुमसे है कहती , जीवन रंगीन बना लो ,

महक से फूलों की तुम , जीवन अपना महका लो बंधु ,

ज्ञान से भरा ------   || 

 

सुंदर सी मुस्कान को तुम , होठों पर अपने सजा लो ,

उन्हीं मुस्कानों को तुम , दूजों से बंटा लो बंधु ,

ज्ञान से भरा  ------  || 

 

यही ज्ञान जो सिमटा दिल में , दूजों में बाँटोगे ,

तभी तो तुम दुनिया में , नाम को बड़ा बना लो बंधु  ,

ज्ञान से भरा  ------  || 

 

Friday, July 4, 2025

BHINN - BHINN ( RATNAAKAR )

 

                         भिन्न - भिन्न 

 

सागर बने जब धरा पर , अतुल जल का भंडार ,

जीवन उपजा सागर में , बना तभी संसार ,

अलग - अलग बनीं योनियाँ , बने  अनगिन  प्रकार ,

भिन्न - भिन्न ही था , उन सबका आकार  || 

 

सागर के अंदर , जीवन  ने ली एक अँगड़ाई ,

अलग - अलग था उनका भी रूप - रंग ,

अलग - अलग थे उनके भी ढंग ,

जिनको देख सभी जन , रह जाते हैं दंग  || 

 

बने जंतु और जीव , पेड़ - पौधे भी बने , 

सभी का अलग प्रकार का जीवन था ,

रूप - रंग सबका अलग , जीवन यापन सभी अलग ,

इसी तरह सभी की उपयोगिता अलग  || 

 


 

Thursday, July 3, 2025

NAJAR ANDAAJ ( KSHANIKAA )

 

                              नजर  अंदाज 

 

होती सभी की इच्छा , एक अच्छा , सुंदर सा घर हो ,

मगर अच्छे और सुंदर , घर का मापदंड क्या है दोस्तों  ?

घर में रहने वाले अगर , प्यार की डोर में बँधे हों , 

एक दूसरे  की परवाह करते हों , 

तो घर अच्छा और सुंदर है दोस्तों  || 

 

जीवन जीने का अंदाज , ऐसा रखो बंधु  ,

जो तुम्हारी परवाह ना करे , तो उसको नजर अंदाज करो बंधु  ,

तभी तो तुम जीवन को भी ,

अच्छा और सुंदर बना पाओगे दोस्तों  || 

 

जीवन में व्यस्तता  जरूरी है ,मगर इतनी भी नहीं ,

कि अपने लिए ,   समय ही ना पा सको तुम ,

खाली बैठे ना रहो हमेशा , मगर कुछ समय तो  ,

अपने अंतर्मन में झाँकने के लिए , रख ही लो बंधु ,

अंतर्मन को भी तो , सुंदर और अच्छा रखना है ना दोस्तों  ?? 

 

Wednesday, July 2, 2025

SUNO DOSTON ( KSHANIKAA )

 

                          सुनो दोस्तों 

 

तराना यादों का बज उठा आज , सुनो दोस्तों  ,

सब के दिलों  घायल कर गया , सुनो दोस्तों  ,

तुम भी तो आज नाच उठो , गा उठो , सुनो दोस्तों  || 

 

जीवन संगीत ने मधुर गीत गाए , सुनो दोस्तों ,

प्यार की धड़कन दिल में धड़की , सुनो दोस्तों ,

होठों पे प्यारी मुस्कान भी चमकी , सुनो दोस्तों  || 

 

कलम से सुंदर शब्द जो चमके , सुनो दोस्तों ,

सुंदर शब्दों से मिलकर मीठे गीत महके , सुनो दोस्तों ,

गीतों को दिल में बसाकर पैर थिरके , सुनो दोस्तों   || 

 

Tuesday, July 1, 2025

DIL - O - DIMAAG ( KSHANIKAA )

 

                         दिल - ओ - दिमाग 

 

समझ हमारे दिल और दिमाग की , आपस में भिड़ गईं दोस्तों ,

दिल ने कहा  ---- क्यों ढूँढते हो तर्क , हर बात में दिमाग तुम ,

किसी बात को  तो भावनाओं से , जोड़कर देखो दिमाग तुम , 

किसी बात की गहराई में , डूबकर देखो दिमाग तुम ,

हर बात में तर्कों का , गणित बिठा लेते हो दिमाग तुम ,

ना कोई प्यार बसा है , ना कोई मुस्कान खिली है होठों पर ,

कैसे रूखे से व्यवहार को , अपनाए हो दिमाग तुम   ?? 

 

अब दिमाग ने कहा ---- तुम तो दिल ,हर बात  में भावों में डूब जाते हो ,

प्यार और मुस्कानों की छाँव में , बैठ जाते हो दिल तुम ,

व्यवहार बेशक तुम्हारा मीठा है , भावों को समझते हो दिल तुम ,

तभी तो अपनों और दूजों के हाथों , लूट लिए जाते हो दिल तुम ,

कुछ तो समझो , कुछ तो जानो , इस दुनिया के तौर - तरीके ,

नहीं तो सब कुछ लुटाकर , आँसू बहाओगे दिल तुम  || 

 

फिर एक बात समझे दोनों , चलो हम आपस में जुड़ते हैं ,

एक दूसरे के गुणों को अपनाकर , रास्ता अलग बनाते हैं ,

और अपना जीवन सुखद बनाते हैं , मिलकर हम बनाते हैं ,

दिल - ओ - दिमाग के अनुसार  --- प्यार और मुस्कानों में ,

तर्क भरी सोच का गणित मिला कर ,

एक अलग सोच बनाते हैं , और नयी जिंदगी बना लेते हैं  ||