संदेस
सागर भिजवा दे संदेसा ,अपनी लहरों के हाथ ,
मैं लेकर तेरा संदेसा , भिजवा दूँगी अपना भी ,
आऊँगी मैं तेरे घर पकड़ के , लहरों का हाथ ,
तेरी लहरें ही देती हैं सागर , मुझको भी अपना साथ ||
तेरे घर में तो जल ही जल है सागर ,
मगर ये लहरें मुझे नहीं डूबने देतीं ,
ये तो उनका प्यार है सागर ,
जो वो मेरा ,साथ हमेशा देतीं ||
सागर तेरे रत्नों का खजाना , तेरा नाम बदलता ,
सागर की जगह तेरा ही नाम ,रत्नाकर है होता ,
हर दिन ही सागर , तू करता है प्यार मुझे ,
हर दिन ही सागर , मैं करती हूँ प्यार तुझे ,
इसीलिए सागर हम दोनों ,भेज सकते हैं अपना संदेसा ||