Wednesday, April 30, 2025

SANDES ( RATNAAKAR )

 

                                  संदेस 


सागर भिजवा दे संदेसा ,अपनी लहरों के हाथ ,

मैं लेकर तेरा संदेसा , भिजवा दूँगी अपना भी  ,

आऊँगी मैं तेरे घर पकड़ के , लहरों का हाथ  ,

तेरी लहरें ही देती हैं सागर , मुझको भी अपना साथ  || 

 

तेरे घर में तो जल ही जल है सागर ,

मगर ये लहरें मुझे नहीं डूबने देतीं ,

ये तो उनका प्यार है सागर ,

जो वो मेरा ,साथ हमेशा देतीं  || 

 

सागर तेरे रत्नों का खजाना , तेरा नाम बदलता ,

सागर की जगह तेरा ही नाम ,रत्नाकर है होता ,

हर दिन ही सागर , तू  करता है प्यार मुझे ,

हर दिन ही सागर , मैं करती हूँ प्यार  तुझे ,

इसीलिए सागर हम दोनों ,भेज सकते हैं अपना संदेसा  || 

 

Tuesday, April 29, 2025

ROBOT ( SAMAJIK )

 

                                     रोबोट 


बनाया रोबोट मानव ने , मशीनी ज्ञान के जरिए ,

ये रोबोट था निर्जीव , नहीं थे प्राण शरीर में इसके || 

 

मगर ईश्वर ने जो रोबोट बनाया , वह सजीव था ,

मानव ही वह रोबोट था  , जो दिन - दिन बढ़ता था  || 

 

ईश्वर का बनाया मानव , जो खाता था , पीता था ,

आकार  में बढ़ता जाता था , गाता था , मुस्कुराता था || 


इस रोबोट ने अपनी एक , नई दुनिया बनाई थी ,

जिसमें इसने हर आराम की , सुविधा जुटाई थी  || 

 

मगर इसने ईश्वर की बनाई , सुंदर दुनिया को ,

टुकड़ों ,खंडों में बाँट दिया , और सरहदों में बाँध दिया  || 

 

Monday, April 28, 2025

IISH NEY ( AADHYAATMIK )

 

                                    ईश ने 


क्यूँ ईश तुमने हमें भेजा  ? दुनिया में ,

क्या देकर तुमने हमें भेजा  ? दुनिया में ,

क्या किस्मत लिखी है हमारी  ? दुनिया में ,

क्या कर्म होंगे हमारे  ? दुनिया में  || 

 

कुछ तो निर्देश दिए होंगे , ईश तुमने ,

कुछ कर्म तो हमारे लिए चुने होंगे  , ईश तुमने ,

उन कर्मों को करने का तरीका बताया होगा ,ईश तुमने  || 

 

जीवन तो दिया है इंसान का , दुनिया में ,

दो हाथ दिए हैं तुमने कर्म के लिए , दुनिया में ,

समझने के लिए दिमाग भी दिया तुमने , दुनिया में  || 

 

प्यार करने के लिए दिल दिया है , ईश तुमने ,

मुस्कानें दी हैं बाँटने के लिए , ईश तुमने ,

समझो सभी बातों को और , समझाओ दूसरों को भी ,

ये सारी बातें ,जो दी हैं ईश ने तुम्हें  || 

 

Sunday, April 27, 2025

KABHII NAHIN ( KSHANIKAA )

 

                             कभी नहीं 


दिया हमने सारा प्यार , अपनों को ,

लुटा दिया हमने सब कुछ ,अपनों को ,

भूल गए हम  खुद को , उनके जीवन को बनाने में ,

हम अपने जीवन को ,मगर दोस्तों नहीं पा सके ,

उस राह पर चलकर , खुद को भी ,ना दूजों को  || 

 

जिंदगी के इस अंजाम को , सहन करने की शक्ति ,

हमारे अंदर नहीं है दोस्तों ,क्या हम गलत थे ? क्या ये अंजाम सही है ?

आपकी क्या सोच है ? ये दुनिया का दस्तूर है ,

दूसरे  की भावनाओं से खेलने का , 

अपनी - अपनी ही सोच है सब की  || 


कोई दूसरे के बारे में नहीं सोचता ,

अपनी जरूरतों को पूरी करना ,सभी चाहते हैं दूजों की नहीं ,

हमने जो अपनों के बारे में सोचा ,वो हमारे ,

अपनों की सोच नहीं है , तो अब हम क्या कर सकते हैं  ?? 

 

क्या समय - चक्र को वापस लौटाया जा सकता है  ?

बताओ दोस्तों , नहीं , नहीं ! कभी नहीं   ||  


Saturday, April 26, 2025

VAIGYAANIK PRAYOG ( JIVAN )

 

                          वैज्ञानिक प्रयोग 


एक विषय विज्ञान है , पढ़ाया जाता है गुरुओं द्वारा ,

कुछ पुस्तकों द्वारा पढ़ाया जाता , 

कुछ प्रयोगों द्वारा सिखाया जाता ,

प्रयोगों द्वारा सीखने की गति , मानो दौड़ लगाती है  || 

 

मानव ने किए प्रयोग भिन्न - भिन्न राह में , प्राकृतिक क्षेत्र में ,

फलों और फूलों की विभिन्न किस्में उगाईं , 

सुंदरता और स्वाद बढ़ाए ,

अन्न ,दाल ,मसाले सभी का संसार बढ़ा ,मानव की रसोई चमकी || 

 

ऊँचे - ऊँचे घर ,टी. वी. ,ए.सी. ,सिनेमा घरों से ,बढ़ा आराम , मनोरंजन ,

यातायात के साधन बढ़े ,फैशन बढ़ा , साथ - साथ ही दोस्तों ,

धरती से दूसरे ग्रह पर भी पहुँचा मानव , प्रयोगों द्वारा ,

चंद्रयान ,मंगलयान बनाए और चाँद ,मंगल पर पहुँचे यान  || 

 

स्वास्थ्य की रक्षा के क्षेत्र में ,प्रयोगों द्वारा विजय भी पाई मानव ने ,

दवाएँ ,मशीनें जिनसे रोगों को दूर भगाया गया ,

मगर दोस्तों कुछ प्रयोग हानिकारक भी किए गए ,

हथियारों को बनाया गया ,बम बनाकर मानव का संहार किया गया ,

जंगल काटे गए ,जिससे अकाल  और बाढ़ आए ,

ये सभी विपदाएँ भी मानव की खुद की बुलाईं हुई हैं  || 

 

Friday, April 25, 2025

BHAROSAA ( KSHANIKAA )

 

                             भरोसा 


किसका करें भरोसा  ? कौन भरोसे राम  ? 

क्या कोई ले सकता है  ? गारंटी भरोसे राम की ,

आज के समय में नहीं कोई  , लायक भरोसे के ,

तो दोस्तों नहीं कोई ले सकता है , किसी की गारंटी ,

क्यों कि कोई है ही नहीं ,भरोसे लायक  || 

 

इसी कारण ये पवन , ये प्रकाश ,ये जल ,

खो बैठें हैं अपना भरोसा ,

कब पवन आँधी , तूफान का रूप ले  ?

कब  सूर्य का प्रकाश , तेज ज्वलनशील तापमान बन जाए  ?

कब ये जल कहर बनकर , बाढ़ का रूप ले  ?

और सब कुछ अपने अंदर डुबा दे  || 

 

मगर दोस्तों ये सब कुछ , मानव का ही किया धरा है ,

जंगल काट - काट कर उसी ने ,प्रकृति को बर्बाद किया है ,

अब उसी का बदला जंगल ले रहा है ,

और मानव को परेशान कर रहा है  || 

 

Thursday, April 24, 2025

CHAHAKANE DEY ( KSHANIKAA )

 

                            चहकने दे 


बड़े अवसर हमेशा नहीं आते ,

बड़ी खुशियों का डेरा , सदा नहीं लगता ,

छोटी - छोटी खुशियों को ,अपने आँचल में समेट लो  || 

 

उन्हीं में छिपीं हैं मुस्कानें , जीवन की चाहतें ,

उन्हीं से जीवन को , खुशनुमा बना लो ,

जिंदगी को महकता ,चमन बना लो ,

उसी चमन में जीवन को सजा लो , प्यार के पलों से  || 

 

तितलियाँ उस चमन को , रंगों से भर देंगी ,

अपने पंखों की सरसराहट से भर देंगी ,

तू जरा उनको उस सरसराहट की , आजादी तो दे ,

वो तेरे होठों पे मुस्कुराहटें , भी ला देंगी  || 

 

आज मौका  है , ना बाँध पंखों को धागे से ,

ना रोक फूलों की महक को , चमन को उजाड़ के ,

सारे जग को महकने दे , पंछियों को चहकने दे ,

तभी तो जग महक जाएगा , खिलखिलाएगा ,

तो जग को खिलखिलाने दे   || 

 

Wednesday, April 23, 2025

DHARAA ( KSHANIKAA )

 

                                  धरा 


रवि - किरणों का उतरा जाल , धरा पर ,

धरा पे सजाया जीवन ,किरणों ने ,

सजीव हो गई धरा , जीवन से ,

धरा ने उस  जीवन को पनपाया , अपने खजाने से  || 


धरा के अंदर छिपा खजाना , बाहर आया ,

भिन्न - भिन्न रूपों में , जीवन बढ़ चला ,

जीवन ने स्वयं को बढ़ाया , अलग रास्ते पर ,

धरा का अनमोल खजाना , खाली कर दिया  || 

 

धरा भी जब खजाना लुटा चुकी , तो सख्त हुई ,

उसने लेना शुरु किया बदला , उथल - पुथल मची ,

धरा हिलने लगी , धरा पर पनपा जीवन काँपा ,

धीरे - धीरे जीवन परेशान हुआ , और दोष धरा को दिया  || 

 

मगर क्या यह धरा का , दोष है दोस्तों  ?

ये तो उस जीवन के , कर्मों का परिणाम था ,

जो उस जीवन ने , बिना  सोचे - समझे किए  || 


Tuesday, April 22, 2025

CHINGAAREE ( KSHANIKAA )

 

                                           चिंगारी 


उड़ी जो एक नन्हीं चिंगारी , रोशनी खिल उठी ,

घर के अँधेरे दूर हुए , उजाली जग उठी ,

इसी चिंगारी ने ,जग उजियाला बनाया ,

जब इस चिंगारी को , रवि ने धरा पर सजाया  || 

 

इसी चिंगारी को जब , चूल्हे में जगाया गया ,

तब दोस्तों इसी चिंगारी से , भोजन को पकाया गया ,

ये चिंगारी जब मानव के , पाचन - तंत्र में जागी ,

तभी  तो मानव के पाचन -तंत्र में , पाचन - शक्ति जागी  || 

 

इसी चिंगारी से तो मानव ने , रेलगाड़ी को चलाया ,

बढ़ाते - बढ़ाते देश में ,रेलगाड़ी का जाल  फैलाया ,

यातायात जितना बढ़ा , उन्नति देश की हुई  ,

साधन जब बढ़ गए , तो देश की गति भी बढ़ गई  || 

 

इन सबसे अलग मानव ने , गलत राह जब अपनाई ,

इसी चिंगारी से मानव ने ,नई खोज अपनाई ,

बम का आविष्कार कर ,मानव ने राह भुलाई ,

मानव जीवन को मौत की , अँधेरी राह दिलवाई  || 

 

Monday, April 21, 2025

PRASHN USKEY ( AADHYAATMIK )

 

                            प्रश्न उसके 


रचा संसार  ये जिसने , नियम भी उसी के चलते हैं  ,

वही रखवाला है संसार का ,कानून भी उसी के चलते हैं ,

परीक्षा भी उसी ने लेनी है , प्रश्न भी वही पूछता है  ,

समय भी उसी ने दिया  , अंक भी वही देता है  || 

 

प्रश्न उसके कठोर हैं , अंक जरा कम ही देता है ,

जरा कोशिश तो तुम करो ,पास वह कर ही देगा  ,

तुम्हारी कोशिशों को वह , नजर अंदाज ना करता ,

इन कोशिशों को ही तो , वह बहुत प्यार करता है  || 

 

जिंदगी दी है जब उसने , वह ही तो उसे चलाएगा ,

तुम्हारे प्यार और कोशिशों को , वह आगे बढ़ाएगा  ,

तुम्हारी इस जिंदगी की राह को , वही तो सजाएगा  || 

 

जान लो तुम उस महाशक्ति को , रचनाकार की ,

डूब जाओ तुम उसके प्यार में , रचनाकार के ,

जान लो तुम उसके प्यार को , रचनाकार के  || 

 

Sunday, April 20, 2025

SUKOON ( KSHANIKAA )

 

                                      सुकून 


जिंदगी में चाहिए जो सुकून , तो शांत रहो ,

जिंदगी में चाहिएँ खुशियाँ , तो मुस्का लो ,

बेचैन रहकर ना सुकून मिलेगा , ना खुशियाँ  || 

 

सुकून और खुशियों से , झोली भर लो अपनी ,

अपनी झोली में से बाँट दो ,कुछ - कुछ दूजों में  ,

जिससे सभी का जीवन भर जाए , सुकून और खुशी से  || 

 

किसी के टेढ़े - मेढ़े प्रश्न का जवाब , मौन है ,

मौन रहोगे तो सामने वाले को , जवाब मिल जाएगा ,

यहाँ तक कि सामने वाला , लाजवाब हो जाएगा  || 

 

कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं , जिनके उत्तर देने से ,

अपना और सामने वाले का , सुकून खो जाता है ,

मौन ही सर्वोत्तम उत्तर है  ,तो दोनों ही ,

सुकून और खुशी में , गोते लगा लो  || 

 

Saturday, April 19, 2025

BATAA DO ( AADHYAATMIK )

 

                       बता  दो 


आए हैं हम कहाँ से  ? जाएँगे हम कहाँ  ?

दोनों ही रास्ते नहीं जानते , हम  बप्पा ,

तुम तो जानते हो , बता दो ना तुम बप्पा  || 

 

कहाँ तुम्हारा लोक है  ? कहाँ तुम्हारा धाम  ? 

कौन - कौन रहता है वहाँ  ? बता तो दो ना  बप्पा  ,

सब कुछ तो तुम जानते हो , बता तो दो ना  बप्पा  || 


क्या रंग हैं वहाँ  ? क्या ढंग हैं वहाँ  ?

कुछ हमें भी सिखा दो , हम भी ढलें उसमें  ,

जिंदगी तुमने ही तो दी है , बता तो दो ना बप्पा  || 

 

जीवन मिला हमें तुमसे , तुम में ही समाएगा ,

बीत जाएगा जब जीवन , जब ये बीत जाएगा ,

तभी तो   द्वार  तेरा खुलेगा , तभी प्रवेश होगा ,

जिंदगी की राहें तुमने बनाईं , पार लगा देना बप्पा   || 

 

Friday, April 18, 2025

MAANAVEEYTAA ( KSHANIKAA )

 

                         मानवीयता 


प्रकृति का हर रंग , कभी नहीं बदलता ,

पेड़ - पौधों की अपनी रंगत है ,

फूलों की अपनी रंगत और खुश्बु है ,

फल अपना आकार  ,स्वाद कायम रखते हैं ,

एक मानव ही अपना स्वाद , और रंग बदलता है  || 

 

  नदियों का जल स्वच्छता , और मिठास से भरपूर है ,

सागर अपनी गहराई , और खारापन लिए हुए है ,

झरनों की फितरत भी , अनोखी अदा लिए हुई  है  ,

 सिर्फ मानव की फितरत ही , कड़वाहट और क्रोध से भरपूर है  || 

 

पवन अपनी शीतलता , लिए बहती रहती है  ,

दामिनी अपनी कड़क लिए , चमकती रहती है ,

बरखा धरा और , उस पर बसे जीवन को ,

जीने के सभी साधन ,उपलब्ध कराती है  || 


बस मानव ही प्रकृति का ,

और अपना विनाश करने में लगा हुआ है  ,

अपनी मानवीयता को खत्म करने में लगा है  || 

 

 


Thursday, April 17, 2025

DOSTII ? ( KSHANIKAA )

 

       

                   दोस्ती  ?

 

दोस्ती है क्या  ?  बोलों दोस्ती है क्या  ?

दोस्ती है आईना  , सच ही सदा दिखाए ,

हर रंग का प्यार , जीवन में सजाए  ,

 जीवन की मुश्किलों को , हर बार ये हराए  || 

 

 दोस्ती है क्या  ? बोलो दोस्ती है क्या  ? 

दोस्ती है परछाईं , जो साथ कभी ना छोड़े ,

कैसी भी हो राह  ? ये साथ सदा निभाए ,

हर मुश्किल की घड़ी में , ये हरदम साथ निभाए  || 

 

दोस्ती है क्या  ? बोलो दोस्ती है क्या  ? 

दोस्ती है दीपक , राहें उजली कर जाए ,

हर ओर छाया  हुआ  ,  अँधेरा दूर भगाए ,

अपने दोस्तों की राहें , उजियाले से भर जाए  || 

 

Wednesday, April 16, 2025

ANOKHII CHAAY ( KSHANIKAA )

 

                              अनोखी चाय 


क्या लेकर हम आए  ?  इस दुनिया में ,

किस्मत की कोरी किताब ,लेकर आए ,

क्या लेकर हम जाएँगे  ? इस दुनिया से ,

कर्मों की भरी किताब ,

जो हमारे कर्मों के हिसाब से भरी होगी  || 

 

कर्मों के अनुमान से काम , नहीं चलेगा ,

अनुमान तो केवल , मन की  कल्पना है ,

अनुभव जो होंगे , हमारे कर्मों के ,

 वही हमें अच्छा सबक सिखाएँगे  || 


अच्छे कर्मों का जल लेकर ,

उसमें आत्मविश्वास का दूध मिलाकर  ,

सही सोच की चीनी और ,

भरपूर समय की चाय - पत्ती मिलाकर  ,

चाय बना लो , उसे अपने जीवन में उतार लो ,

तभी जीवन में सफलता की मंजिल मिलेगी  || 

 

MAUN ( KSHANIKAA )

 

                               मौन 


हालात जैसे भी हों दोस्तों , डरना मत ,

कभी भी उदास मत होना दोस्तों ,

होठों पे मुस्कानें सजाए रखना दोस्तों  || 

 

हर हालात , हर राह पार हो जाएगी ,

यदि तुम मुस्कुराओगे ,

मुस्कान ही तो चाबी है , हर ताले की ,

तो मुस्कान से खोल लो , हर ताले को  || 

 

इस दुनिया की बनाई हर राह ,

इस दुनिया वालों के  पैदा किए , हर हालात ,

तुम्हारे दिल को दर्द दें , चाहे जितने ,

मौन रहकर , मुस्कान फैलाकर , 

पार कर जाओ दोस्तों ,हर दर्द , हर उलझन ,

जीवन शांति से भर जाएगा  || 

 

Monday, April 14, 2025

ANMOL ( KSHANIKAA )

 

                         अनमोल 


 नहीं  भाग लो दोस्तों , आलोचना पार्टी में ,

ना करो तुम आलोचना किसी की , ना ही तुम सुनो ,

ये तुम्हारा काम नहीं , ये तुम्हारा काम नहीं  || 

 

किसी को मीठे बोल , नहीं बोल सकते तो ना सही ,

चुप रहो दोस्तों , कुछ भी ना बोलो  ,

मगर कड़वा  बोल , ना बोलो दोस्तों  || 

 

कड़वे बोलों से , अपना ही स्वाद कड़वा होगा  ,

चुप रह जाओगे गर ,फीका स्वाद मिलेगा  ,

मगर मीठे बोलों से तो , मीठा स्वाद मिल जाएगा  || 

 

जीवन मीठा बना लो , मीठा - मीठा बोल के ,

कड़वे बोल तो , बिन मोल के ,

मीठे बोल तो हैं अनमोल , जीवन बना देंगे ये अनमोल  || 

 

Sunday, April 13, 2025

CHAAHAT ( AADHYAATMIK )

 

                          चाहत 


किसी ने क्या कहा मुझसे  ? मैं ना जानूँ ,

किसी की मर्जी है क्या दोस्तों  ? मैं ना जानूँ ,

मुझे किस राह चलना है  ? मैं ना जानूँ ,

फिर कौन जाने यह सब  ? कान्हा तुम हो ना   || 

 

जीवन में हमें क्या मिलेगा  ? मैं ना जानूँ  ,

प्यार की राह मिलेगी या उपेक्षा की , मैं ना जानूँ ,

हर राह मुझे करनी होगी पार , मगर कौन सी  ? 

 इन सब बातों को कैसे मैं समझूँ  ? 

बताए कोई  ,  कान्हा तुम हो ना   || 

 

इस दुनिया की टेढ़ी राहों को , कौन जानेगा  ?

किसी की कही , अनकही बातों को , कौन जानेगा  ? 

कान्हा के सहारे ,पार हो जाएँगी , ये राहें ,

भवसागर में जीवन नैया , पार हो जाएगी ,

रुकावटें सभी पार हो जाएँगी , सभी की ,

बस यही तो हमारा फैसला है ,

यही तो हमारी चाहत है ,

इस चाहत में ,कान्हा तुम हो ना  ? 

 

Saturday, April 12, 2025

SAAT ( KSHANIKAA )

 

                             सात  


सात सुरों की सरगम , सजती है मीठे गीतों में ,

सजती है मीठे बोलों में , सजती है मीठे संगीत में ,

संगीत भरी ये दुनिया , देती है मीठी मुस्कान  || 

 

बैठा है रचेता सातवें आसमान पर , वहीं से रचा संसार ,

वहीं रहकर ,वहीं से , चलाता सारा संसार  || 

 

सात समंदर पार की दुनिया ,बन गई है अब एक ,

उड़ - उड़ कर मानव पहुँचे , दुनिया के हर छोर  || 

 

सात रंग मिलकर बनता है , सतरंगा इंद्रधनुष ,

जो मुस्कान दे जाए ,हर मानव के होठों पर ,

भीगे - भीगे मौसम में , रवि किरणों का चमत्कार ,

वही बनाता , सतरंगा इंद्रधनुष  || 

 

सात दिनों का एक सप्ताह ,

जिनका है नाम , ग्रहों के नाम  पर ,

रविवार ( रवि ) , सोमवार ( चाँद ) ,मंगलवार ( मंगल ) ,

बुधवार ( बुध ),बृहस्पतिवार ( बृहस्पति ),शुक्रवार (शुक्र ), शनिवार ( शनि ) || 

 

Friday, April 11, 2025

VEER HANUMAAN ( AADHYAATMIK )

 

                            वीर हनुमान 


जय - जय , जय - जय , वीर हनुमान ,

तुम तो हो हमारे ,देश की शान ,

राम भक्त तुम तो हो , वीर हनुमान ,

सागर किया था पार तुमने , लगाकर छलांग  ||  


सीता माता को खोजा , सोने की लंका  तुमने जलाई ,

राम - लखन का साथ देने को , सुग्रीव की सेना बुलाई ,

सारे काम बनाए तुमने , पुल सागर पे बनाया ,

राम भक्त तो हो तुम , हमारे वीर हनुमान  || 

 

लखन के घायल होने पर , बूटी तुम ले आए ,

तभी तो युद्ध - क्षेत्र में , लखन के प्राण बच पाए ,

जीवन भर भक्ति की राम की , सेवा उनकी की ,

आज भी तुम अपने और , राम भक्तों की ,

भक्ति से खुश हो कर , उनकी इच्छा करते पूरी  || 

 

Thursday, April 10, 2025

CHAHAK ( KSHANIKAA )

 

                                  चहक 


मत सोचो दोस्तों , कोई क्या बोला  ?

मत मानो दोस्तों ,ना पसंद बातों को ,

मत उलझो दोस्तों , उलझनों के धागों में ,

सुलझा लो दोस्तों , धागों की सभी गाँठों को  || 

 

जिंदगी में उतार - चढ़ाव को , आते रहते हैं दोस्तों ,

वही जीवन का रास्ता , प्रशस्त करते हैं ,

उन्हीं उतार - चढ़ाव  को , पार करते रहो ,

और जीवन का रास्ता , पार कर जाओ दोस्तों  || 

 

रंग जीवन के सतरंगे , इंद्रधनुष सजाएँगे ,

उन्हीं रंगों में डूबकर , मुस्कानें सजा लो दोस्तों ,

वही मुस्कानें तो जीवन को ,खुशियों से भर जाएँगी  || 

 

अपनी मुस्कानों को , दूजों को भी बाँटो  दोस्तों ,

अपने साथ दूजों को भी , खुशियाँ बाँटो दोस्तों ,

तभी तो सही मायने में ,जीवन चहक जाएगा ,

 जीवन महक जाएगा , जीवन चहक जाएगा  || 

 

Wednesday, April 9, 2025

RAAH JIVAN KII ( AADHYAATMIK )

 

                            राह जीवन की 


जीवन है साँसों की डोर ,

जिसका कोई ओर ना छोर ,

उस डोर को थामे रहो दोस्तों ,

जीवन की राह को लंबी बना लो दोस्तों  || 

 

परिश्रम से , कोई भी राह आसान बनती है ,

उसे आसान बना लो दोस्तों ,

उस आसान राह को , बिना मुश्किल पार कर लोगे , 

ये राह तो तुम ,मुस्कानों के साथ पार कर जाओगे  || 

 

ईश्वर का आशीर्वाद , सबके साथ रहता है ,

तुम्हारे साथ भी , यह आशीर्वाद है ,

तो थाम के ,ईश्वर के आशीर्वाद को ,

जीवन की राह , पार कर लो दोस्तों  || 

 

Tuesday, April 8, 2025

SHRENII ( KSHANIKAA )

 

                                  श्रेणी 


कुछ भी पकाते हुए ,सभी मसाले डालो दोस्तों ,

सभी को संतुलित मात्रा में , डालो दोस्तों ,

स्वाद सभी मसालों का , खाते समय आएगा दोस्तों  || 

 

उनमें से एक नमक ऐसा है ,

जो अपनी उपस्थिति से , या अनुपस्थिति से ,

पकवान का स्वाद , बनाता या बिगाड़ता है  || 

 

तो दोस्तों तुम अपना , व्यक्तित्व नमक जैसा बना लो ,

कहीं भी तुम्हारे होने पर , कोई महसूस करे या ना करे ,

मगर तुम्हारी अनुपस्थिति को , हर कोई महसूस करेगा  || 

 

अकेले नमक के होने से भी ,खाना खाया जा सकता है ,

मगर बाकि मसाले होते हुए भी ,

नमक की कमी से नहीं खा सकते , 

तो पसंद आयी व्यक्तित्व की श्रेणी  ?

तो बताओ क्या बनोगे दोस्तों  ?

क्या कहा ? ---- नमक , बिल्कुल  ठीक दोस्तों  ||  


Monday, April 7, 2025

JIVAN ( JIVAN )

 

                            जीवन 


मिला जो जीवन इस दुनिया में , अनमोल है ,

इनमें सबसे कीमती , प्यार के मीठे बोल हैं ,

इन बोलों में , प्यार है , जीवन का सार है ,

इस प्यार को , ग्रहण कर लो दोस्तों  || 

 

इस जीवन में जो सपने हैं , वही तो अपने हैं  ,

उन्हीं को सच कर लो ,जीवन को गुलशन बना लो ,

प्यार के मीठे बोलों को सजा कर , 

प्यार की चाशनी में डूबे , मीठे गीत बना लो दोस्तों  || 


जीवन की नैया को ,भवसागर में ,

तैरा  कर , पार करने में मदद करो ,

मुस्कानों की पतवार बना कर ,

जीवन की नैया खेते जाओ , पार लगाते जाओ  || 

 

Sunday, April 6, 2025

DOOR HAIN ( KSHANIKAA )

 

                                  दूर  हैं 


धरा है गगन की दोस्त ,मगर दूर है ,

ऐसे ही हमारे सभी दोस्त , हमसे दूर हैं  || 


यादें भी हैं सबकी , बातें भी हैं सभी की ,

हरदम जो पल - पल , मगर आती जरूर है  || 

 

वो बीते पल , वो बीत गए जो कल ,

आज वो पास नहीं हैं , आज वो दूर हैं  || 

 

पता नहीं , कल मिलेंगे या नहीं ,

पता नहीं ,कल वो खिलेंगे या नहीं ,

कुछ भी हो मगर ,इंतजार जरूर है  || 

 

अगर आप को कहीं मिल जाएँ , वो पल ,

तो याद दिला देना ,हमारे इंतजार का  ,

हमारी आस , हमारे विश्वास का ,

यही सब हमारे हाथ में जरूर है  || 

 

 


Saturday, April 5, 2025

SAKHAA SAAGAR ( RATNAAKAR )

 

                               सखा सागर 


आजा रे सागर तू आजा ,लहरों को संग लेकर आजा ,

मिल के गप्पें मारेंगे ,गीतों का हम समां बाँधेंगे  ||  


बहुत दिन हुए ,हम सब मिलकर बैठे नहीं ,

नहीं कीं सामने बैठ बातें ,और ना खिलखिलाए ,

आज तो आओ ,कुछ हमारी सुनो ,कुछ अपनी सुनाओ  ||  


तुम  तो हो रत्नों का आकर ( घर ), एक बड़ा सा ,

खजाना है तुम्हारे अंदर ,जीवों का भी बसा है संसार ,

तुम्हारे अंदर ,रंगों का संसार ,सजा है तुम्हारे अंदर  || 

 

सागर तुम हो सखा हमारे , जल का अतुल भंडार हो  ,

तुम्हारे इसी जल में ,जीवन उपजा था ,

वही जीवन फिर धरा पे आया , पूरी दुनिया तभी बनी ,

मानव ने सुखी जीवन था पाया  || 

 

मगर सागर एक बात बताओ तुम ,

नदियाँ तो मीठा जल लातीं ,

तेरा घर उनके ही जल से भरता ,

पर तूने उसे नमकीन , क्यों और कैसे बनाया  ?? 

 

CHAAHATEN ( JIVAN )

 

                              चाहतें 


जिंदगी में कुछ चाहतें , पूरी  होती हैं ,

और कुछ चाहतें , अधूरी रहती हैं ,

पूरी हुई चाहतें ,खुशियाँ दे जाती हैं ,

अधूरी रही चाहतें , ख्वाब बन जाती हैं  || 

 

हम उन अधूरी चाहतों में ,

उलझ कर व्यथित हो कर ,

समझ नहीं पाते , हम क्या करें  ?

जिससे हमारी वो अधूरी चाहतें  , पूरी हो जाएँ  || 

 

कुछ चाहतों को पूरा करने की ,

दृढ़ इच्छा शक्ति ही हम को ,

सफलता दिला देती है ,यदि हम ,

उलझनों को बड़ा बना लेते हैं ,

तो हमें असफलता ही हाथ में आती है ,

तो दोस्तों दृढ़ इच्छा शक्ति को ,

अपने अंदर जगा कर ,सफलता का रास्ता पकड़ लो  || 

 

Thursday, April 3, 2025

KADAK DAMINII KII ( JALAD AA )

 

                            कड़क दामिनी की 


एक बूँद बदरा दे जा ,

मेरे तपते अँगना की ,धरती की प्यास बुझा जा रे ,

अपनी घनी छाया में ,धरती को राहत दे जा रे ,

कब से धरती तपती है , रवि किरणों के तेज से  ?

उस तपन को कम कर जा रे  || 

 

अपनी बरखा को तू भिजवा दे , रिमझिम - रिमझिम बरसा दे ,

धरती अपनी खिलखिलाएगी ,तुम्हारे ही गीत गाएगी  रे || 


अपना दिल भी खुश हो जाएगा ,खुश होकर ये मुस्काएगा ,

मुस्का  के ये  गुनगुनाएगा ,जिससे तू भी बदरा खिलखिलाएगा रे || 


तेरी दामिनी भी चमकती जाएगी ,कड़क - कड़क के खिलखिलाएगी ,

पवन भी तुझको गगन में उड़ाएगा ,

दामिनी , पवन के साथ मिलकर ,तू भी जी जाएगा रे  || 

 

Wednesday, April 2, 2025

GAREEB YAA AMEER ? ( AADHYAATMIK )

 

                            गरीब  या  अमीर  ? 


कौन है गरीब  ? या कौन है अमीर  ? 

हम ही सबसे गरीब हैं बंधु  ,

क्या है हमारे पास  ? ना आस है ना साँस ,

साँसें सभी उधार की हैं बंधु ,

जब दुनिया  का का रचेता चाहेगा , रोक देगा  || 

 

संसार में जीवों की चौरासी लाख योनियाँ हैं ,

सबसे श्रेष्ठ मानव योनि है ,

और सभी जीवों में से मानव ही ,

धन अर्जित करता है ,  मगर बंधु फिर भी , 

सभी जीवों में से मानव ही , भूख से मरता है ,

बाकि सभी जीव पेट भर ,खा कर जीवित रहते हैं  || 

 

गरीब होने के साथ - साथ , हम ही सबसे अमीर हैं ,

तीनों लोकों का मालिक ही , 

हमारा सपना है  ,वही हमारा अपना है ,

 वही हमारी हर बिगड़ी संवारता है  ,

जिसका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है  || 

 

Tuesday, April 1, 2025

CHANDANIYAA ( CHANDRAMAA )

 

                       चंदनिया  


आजा रे चंदा , तुम्हें आना ही होगा ,

चंदनिया का जाल , बिछाना ही होगा  || 

 

रातों के फैले ,अँधियारे को दोस्त ,

अपनी मुस्कान से , मिटाना ही होगा  || 

 

धरती भी ताकती है , राहें तुम्हारी ,

उसकी भी दोस्ती को , बढ़ाना ही होगा  || 

 

रंगों भरे दिन तो , बीत यूँ ही जाते ,

रातों को चंदनिया से , चमकाना ही होगा  || 

 

चंदनिया तो चंदा , मुस्कान है तुम्हारी ,

उसी से चंदा धरा को , चमकाना ही होगा  ||