Saturday, April 5, 2025

SAKHAA SAAGAR ( RATNAAKAR )

 

                               सखा सागर 


आजा रे सागर तू आजा ,लहरों को संग लेकर आजा ,

मिल के गप्पें मारेंगे ,गीतों का हम समां बाँधेंगे  ||  


बहुत दिन हुए ,हम सब मिलकर बैठे नहीं ,

नहीं कीं सामने बैठ बातें ,और ना खिलखिलाए ,

आज तो आओ ,कुछ हमारी सुनो ,कुछ अपनी सुनाओ  ||  


तुम  तो हो रत्नों का आकर ( घर ), एक बड़ा सा ,

खजाना है तुम्हारे अंदर ,जीवों का भी बसा है संसार ,

तुम्हारे अंदर ,रंगों का संसार ,सजा है तुम्हारे अंदर  || 

 

सागर तुम हो सखा हमारे , जल का अतुल भंडार हो  ,

तुम्हारे इसी जल में ,जीवन उपजा था ,

वही जीवन फिर धरा पे आया , पूरी दुनिया तभी बनी ,

मानव ने सुखी जीवन था पाया  || 

 

मगर सागर एक बात बताओ तुम ,

नदियाँ तो मीठा जल लातीं ,

तेरा घर उनके ही जल से भरता ,

पर तूने उसे नमकीन , क्यों और कैसे बनाया  ?? 

 

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