Sunday, April 27, 2025

KABHII NAHIN ( KSHANIKAA )

 

                             कभी नहीं 


दिया हमने सारा प्यार , अपनों को ,

लुटा दिया हमने सब कुछ ,अपनों को ,

भूल गए हम  खुद को , उनके जीवन को बनाने में ,

हम अपने जीवन को ,मगर दोस्तों नहीं पा सके ,

उस राह पर चलकर , खुद को भी ,ना दूजों को  || 

 

जिंदगी के इस अंजाम को , सहन करने की शक्ति ,

हमारे अंदर नहीं है दोस्तों ,क्या हम गलत थे ? क्या ये अंजाम सही है ?

आपकी क्या सोच है ? ये दुनिया का दस्तूर है ,

दूसरे  की भावनाओं से खेलने का , 

अपनी - अपनी ही सोच है सब की  || 


कोई दूसरे के बारे में नहीं सोचता ,

अपनी जरूरतों को पूरी करना ,सभी चाहते हैं दूजों की नहीं ,

हमने जो अपनों के बारे में सोचा ,वो हमारे ,

अपनों की सोच नहीं है , तो अब हम क्या कर सकते हैं  ?? 

 

क्या समय - चक्र को वापस लौटाया जा सकता है  ?

बताओ दोस्तों , नहीं , नहीं ! कभी नहीं   ||  


No comments:

Post a Comment