चंदनिया
आजा रे चंदा , तुम्हें आना ही होगा ,
चंदनिया का जाल , बिछाना ही होगा ||
रातों के फैले ,अँधियारे को दोस्त ,
अपनी मुस्कान से , मिटाना ही होगा ||
धरती भी ताकती है , राहें तुम्हारी ,
उसकी भी दोस्ती को , बढ़ाना ही होगा ||
रंगों भरे दिन तो , बीत यूँ ही जाते ,
रातों को चंदनिया से , चमकाना ही होगा ||
चंदनिया तो चंदा , मुस्कान है तुम्हारी ,
उसी से चंदा धरा को , चमकाना ही होगा ||
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