Tuesday, April 1, 2025

CHANDANIYAA ( CHANDRAMAA )

 

                       चंदनिया  


आजा रे चंदा , तुम्हें आना ही होगा ,

चंदनिया का जाल , बिछाना ही होगा  || 

 

रातों के फैले ,अँधियारे को दोस्त ,

अपनी मुस्कान से , मिटाना ही होगा  || 

 

धरती भी ताकती है , राहें तुम्हारी ,

उसकी भी दोस्ती को , बढ़ाना ही होगा  || 

 

रंगों भरे दिन तो , बीत यूँ ही जाते ,

रातों को चंदनिया से , चमकाना ही होगा  || 

 

चंदनिया तो चंदा , मुस्कान है तुम्हारी ,

उसी से चंदा धरा को , चमकाना ही होगा  ||  

 

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