Wednesday, April 23, 2025

DHARAA ( KSHANIKAA )

 

                                  धरा 


रवि - किरणों का उतरा जाल , धरा पर ,

धरा पे सजाया जीवन ,किरणों ने ,

सजीव हो गई धरा , जीवन से ,

धरा ने उस  जीवन को पनपाया , अपने खजाने से  || 


धरा के अंदर छिपा खजाना , बाहर आया ,

भिन्न - भिन्न रूपों में , जीवन बढ़ चला ,

जीवन ने स्वयं को बढ़ाया , अलग रास्ते पर ,

धरा का अनमोल खजाना , खाली कर दिया  || 

 

धरा भी जब खजाना लुटा चुकी , तो सख्त हुई ,

उसने लेना शुरु किया बदला , उथल - पुथल मची ,

धरा हिलने लगी , धरा पर पनपा जीवन काँपा ,

धीरे - धीरे जीवन परेशान हुआ , और दोष धरा को दिया  || 

 

मगर क्या यह धरा का , दोष है दोस्तों  ?

ये तो उस जीवन के , कर्मों का परिणाम था ,

जो उस जीवन ने , बिना  सोचे - समझे किए  || 


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