चाहत
किसी ने क्या कहा मुझसे ? मैं ना जानूँ ,
किसी की मर्जी है क्या दोस्तों ? मैं ना जानूँ ,
मुझे किस राह चलना है ? मैं ना जानूँ ,
फिर कौन जाने यह सब ? कान्हा तुम हो ना ||
जीवन में हमें क्या मिलेगा ? मैं ना जानूँ ,
प्यार की राह मिलेगी या उपेक्षा की , मैं ना जानूँ ,
हर राह मुझे करनी होगी पार , मगर कौन सी ?
इन सब बातों को कैसे मैं समझूँ ?
बताए कोई , कान्हा तुम हो ना ||
इस दुनिया की टेढ़ी राहों को , कौन जानेगा ?
किसी की कही , अनकही बातों को , कौन जानेगा ?
कान्हा के सहारे ,पार हो जाएँगी , ये राहें ,
भवसागर में जीवन नैया , पार हो जाएगी ,
रुकावटें सभी पार हो जाएँगी , सभी की ,
बस यही तो हमारा फैसला है ,
यही तो हमारी चाहत है ,
इस चाहत में ,कान्हा तुम हो ना ?
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