Tuesday, April 22, 2025

CHINGAAREE ( KSHANIKAA )

 

                                           चिंगारी 


उड़ी जो एक नन्हीं चिंगारी , रोशनी खिल उठी ,

घर के अँधेरे दूर हुए , उजाली जग उठी ,

इसी चिंगारी ने ,जग उजियाला बनाया ,

जब इस चिंगारी को , रवि ने धरा पर सजाया  || 

 

इसी चिंगारी को जब , चूल्हे में जगाया गया ,

तब दोस्तों इसी चिंगारी से , भोजन को पकाया गया ,

ये चिंगारी जब मानव के , पाचन - तंत्र में जागी ,

तभी  तो मानव के पाचन -तंत्र में , पाचन - शक्ति जागी  || 

 

इसी चिंगारी से तो मानव ने , रेलगाड़ी को चलाया ,

बढ़ाते - बढ़ाते देश में ,रेलगाड़ी का जाल  फैलाया ,

यातायात जितना बढ़ा , उन्नति देश की हुई  ,

साधन जब बढ़ गए , तो देश की गति भी बढ़ गई  || 

 

इन सबसे अलग मानव ने , गलत राह जब अपनाई ,

इसी चिंगारी से मानव ने ,नई खोज अपनाई ,

बम का आविष्कार कर ,मानव ने राह भुलाई ,

मानव जीवन को मौत की , अँधेरी राह दिलवाई  || 

 

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