चिंगारी
उड़ी जो एक नन्हीं चिंगारी , रोशनी खिल उठी ,
घर के अँधेरे दूर हुए , उजाली जग उठी ,
इसी चिंगारी ने ,जग उजियाला बनाया ,
जब इस चिंगारी को , रवि ने धरा पर सजाया ||
इसी चिंगारी को जब , चूल्हे में जगाया गया ,
तब दोस्तों इसी चिंगारी से , भोजन को पकाया गया ,
ये चिंगारी जब मानव के , पाचन - तंत्र में जागी ,
तभी तो मानव के पाचन -तंत्र में , पाचन - शक्ति जागी ||
इसी चिंगारी से तो मानव ने , रेलगाड़ी को चलाया ,
बढ़ाते - बढ़ाते देश में ,रेलगाड़ी का जाल फैलाया ,
यातायात जितना बढ़ा , उन्नति देश की हुई ,
साधन जब बढ़ गए , तो देश की गति भी बढ़ गई ||
इन सबसे अलग मानव ने , गलत राह जब अपनाई ,
इसी चिंगारी से मानव ने ,नई खोज अपनाई ,
बम का आविष्कार कर ,मानव ने राह भुलाई ,
मानव जीवन को मौत की , अँधेरी राह दिलवाई ||
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