Sunday, April 6, 2025

DOOR HAIN ( KSHANIKAA )

 

                                  दूर  हैं 


धरा है गगन की दोस्त ,मगर दूर है ,

ऐसे ही हमारे सभी दोस्त , हमसे दूर हैं  || 


यादें भी हैं सबकी , बातें भी हैं सभी की ,

हरदम जो पल - पल , मगर आती जरूर है  || 

 

वो बीते पल , वो बीत गए जो कल ,

आज वो पास नहीं हैं , आज वो दूर हैं  || 

 

पता नहीं , कल मिलेंगे या नहीं ,

पता नहीं ,कल वो खिलेंगे या नहीं ,

कुछ भी हो मगर ,इंतजार जरूर है  || 

 

अगर आप को कहीं मिल जाएँ , वो पल ,

तो याद दिला देना ,हमारे इंतजार का  ,

हमारी आस , हमारे विश्वास का ,

यही सब हमारे हाथ में जरूर है  || 

 

 


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