Wednesday, April 30, 2025

SANDES ( RATNAAKAR )

 

                                  संदेस 


सागर भिजवा दे संदेसा ,अपनी लहरों के हाथ ,

मैं लेकर तेरा संदेसा , भिजवा दूँगी अपना भी  ,

आऊँगी मैं तेरे घर पकड़ के , लहरों का हाथ  ,

तेरी लहरें ही देती हैं सागर , मुझको भी अपना साथ  || 

 

तेरे घर में तो जल ही जल है सागर ,

मगर ये लहरें मुझे नहीं डूबने देतीं ,

ये तो उनका प्यार है सागर ,

जो वो मेरा ,साथ हमेशा देतीं  || 

 

सागर तेरे रत्नों का खजाना , तेरा नाम बदलता ,

सागर की जगह तेरा ही नाम ,रत्नाकर है होता ,

हर दिन ही सागर , तू  करता है प्यार मुझे ,

हर दिन ही सागर , मैं करती हूँ प्यार  तुझे ,

इसीलिए सागर हम दोनों ,भेज सकते हैं अपना संदेसा  || 

 

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