Friday, April 18, 2025

MAANAVEEYTAA ( KSHANIKAA )

 

                         मानवीयता 


प्रकृति का हर रंग , कभी नहीं बदलता ,

पेड़ - पौधों की अपनी रंगत है ,

फूलों की अपनी रंगत और खुश्बु है ,

फल अपना आकार  ,स्वाद कायम रखते हैं ,

एक मानव ही अपना स्वाद , और रंग बदलता है  || 

 

  नदियों का जल स्वच्छता , और मिठास से भरपूर है ,

सागर अपनी गहराई , और खारापन लिए हुए है ,

झरनों की फितरत भी , अनोखी अदा लिए हुई  है  ,

 सिर्फ मानव की फितरत ही , कड़वाहट और क्रोध से भरपूर है  || 

 

पवन अपनी शीतलता , लिए बहती रहती है  ,

दामिनी अपनी कड़क लिए , चमकती रहती है ,

बरखा धरा और , उस पर बसे जीवन को ,

जीने के सभी साधन ,उपलब्ध कराती है  || 


बस मानव ही प्रकृति का ,

और अपना विनाश करने में लगा हुआ है  ,

अपनी मानवीयता को खत्म करने में लगा है  || 

 

 


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