Monday, March 24, 2025

ANMOL MOTII ( DOHA )

 

                            अनमोल मोती 


भूल कर पैर की मोच को ,त्याग कर छोटी सोच को ,

आगे तू कदम बढ़ा ,मिलेगी तुझे मंजिल  || 

 

बहुत ध्यान से ढूँढिए ,अपनी गलती जरूर मिलेगी ,

 तूफान को नन्हीं - सी ,नाव भी पार करेगी  || 


भीड़ बढ़ रही संसार में , मन  तो रहे अकेला ,

बुला ले अपने दोस्त , मन डूबेगा प्यार में  || 

 

खेलो खिलौनों से , मत खेलो जज्बात से ,

गर कुछ दुविधा हो तो , दूर करो उसे बात से  || 

 

अपनी मिट्टी से जुड़े रहो , पकड़ रहे मजबूत ,

संगमरमर पर तो , पैर ही फिसले जाएँ  || 

 

टूटी कलम को फिर से जोड़ो ,दूजों से जलन को छोड़ो ,

लिखो सत्कर्म से , अपने भाग्य को  || 

 

त्यागो आलस ,छोड़ो लालच पैसों का ,

लालच करो कर्म का ,मानव सेवा करो ,बनो सच्चे इंसान || 

 

मजा उठाओ सफर का , कम रखो सामान ,

जिंदगी मौज बन जाएगी ,जो कम होंगे अरमान  || 

 

धन को कभी ना जोड़िए ,वो तो साथ ना जाय ,

कर्मों की गठरी बाँध लो , जो तेरा साथ निभाय  || 

 

साँसों का बोझ शरीर को ,भारी बहुत बनाय ,

छूटीं साँस शरीर की , लाश तैरती आय  || 

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