मुस्कानें
मुस्कानें बाँटो सभी में ,तभी तो तुम भी पाओगे ,
रंग बाँटोगे जो सब ओर ,रंगों से तुम रंग जाओगे ,
सच मानो दोस्तों ,इंद्रधनुष बन जाओगे ||
कलियों को खिलाओगे ,तो गुलशन को महकाओगे ,
गुलशन की महक से तुम ,जग को महकाओगे ,
जग की महक से तुम ,अपनी साँसों को महकाओगे ||
ये तो रीत है दुनिया की ,जो बोओगे वही तो काटोगे ,
प्रकृति के नियमों का ,पालन करके ही तो ,
तुम अपने जीवन को ,सफलताएँ दिलाओगे ||
कीमतें मुस्कानों की ,और रंगों की ,
इसी जीवन में ही तो चुकानी हैं ,
महकाओगे इस दुनिया को तो ,
उन्हीं महकों में तुम भी रम जाओगे ||
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