Sunday, March 9, 2025

MUSKAANEN ( JIVAN )

 

                            मुस्कानें 


मुस्कानें बाँटो  सभी में ,तभी तो तुम भी पाओगे ,

रंग बाँटोगे जो सब ओर ,रंगों से तुम रंग जाओगे ,

सच मानो दोस्तों ,इंद्रधनुष बन जाओगे  || 

 

कलियों को खिलाओगे ,तो गुलशन को महकाओगे ,

गुलशन की महक से तुम ,जग को महकाओगे ,

जग की महक से तुम ,अपनी साँसों को महकाओगे  || 

 

ये तो रीत है दुनिया की ,जो बोओगे वही तो काटोगे ,

प्रकृति के नियमों का ,पालन करके ही तो ,

तुम अपने जीवन को ,सफलताएँ दिलाओगे  || 

 

कीमतें मुस्कानों की ,और रंगों की ,

इसी जीवन में ही तो चुकानी हैं ,

महकाओगे इस दुनिया को तो ,

उन्हीं महकों में तुम भी रम जाओगे  || 

 

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