Friday, March 21, 2025

SAMAY KE DARPAN ME ( KSHANIKAA )

 

                       समय के दर्पण में 


आज समय के दर्पण में , झाँका जो दोस्तों ,

कुछ समय तो हमने  देखे , बचपन के कुछ खेल ,

कुछ और समय में देखा , दोस्तों से अपना मेल  || 

 

यादों में अपने आईं , वो पुरानी गलियाँ ,

उन गलियों में खिलती रहीं ,खुशियों की कलियाँ ,

उनकी महक से ही तो ,महका है जीवन हमारा  || 

 

बचपन के कुछ दोस्तों से , आज भी मेल है ,

मगर सभी के ठिकाने , बहुत दूर - दूर हैं ,

आज समय के दर्पण में , उन्हीं का प्रतिबिंब है  || 

 

अब आगे कब मिलेंगे  ? सभी साथी अपने ,

याद आती है सभी की , आवाजें गूँजतीं हैं उनकी ,

उन्हीं गूँजों में अब तो , ये जिंदगी बितानी है  || 

 

समय का दर्पण भी ,एक सुंदर जरिया है ,

एक डोर है जो आज को और  ,

पुराने समय को जोड़ती है ,

तो इस सुंदर दर्पण को ,

अपने जीवन में सजाए रखो दोस्तों  || 

 

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