समय के दर्पण में
आज समय के दर्पण में , झाँका जो दोस्तों ,
कुछ समय तो हमने देखे , बचपन के कुछ खेल ,
कुछ और समय में देखा , दोस्तों से अपना मेल ||
यादों में अपने आईं , वो पुरानी गलियाँ ,
उन गलियों में खिलती रहीं ,खुशियों की कलियाँ ,
उनकी महक से ही तो ,महका है जीवन हमारा ||
बचपन के कुछ दोस्तों से , आज भी मेल है ,
मगर सभी के ठिकाने , बहुत दूर - दूर हैं ,
आज समय के दर्पण में , उन्हीं का प्रतिबिंब है ||
अब आगे कब मिलेंगे ? सभी साथी अपने ,
याद आती है सभी की , आवाजें गूँजतीं हैं उनकी ,
उन्हीं गूँजों में अब तो , ये जिंदगी बितानी है ||
समय का दर्पण भी ,एक सुंदर जरिया है ,
एक डोर है जो आज को और ,
पुराने समय को जोड़ती है ,
तो इस सुंदर दर्पण को ,
अपने जीवन में सजाए रखो दोस्तों ||
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