महिला दिवस
दुनिया के इस भवसागर में , फंसी हुई एक स्त्री हूँ मैं ,
हाँ ,जी हाँ ! एक स्त्री हूँ मैं ,
अपने सब किरदार निभाती ,स्त्री हूँ मैं ||
जितने कर्त्तव्य ईश्वर ने सौंपे ,
जितने कर्त्तव्य पथ ईश्वर ने बनाए ,
उन सभी पे चलती ,स्त्री हूँ मैं ,
अपने सभी कर्त्तव्य निभाती ,स्त्री हूँ मैं ||
अपना कोई कर्त्तव्य अधूरा ,मैंने नहीं छोड़ा ,
हर कर्तव्य जी जान से निभाती ,स्त्री हूँ मैं ||
कीमत हर रिश्ते की चुकाती , स्त्री हूँ मैं ||
आज तो महिला दिवस मनाकर ,स्त्रियों का सम्मान करते हैं ,
मगर भारत देश में , हर दिन महिला का है ,
तो बंधुओं समझ गए या नहीं ??
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