Thursday, March 20, 2025

SHRIDDHAA ( KSHANIKAA )

 

                                श्रृद्धा 


जीवन में आने वाला हर दिन ,

सब रंग नए दिखलाता है ,

उगने वाला सूरज ,हर किरण  नई बिखराता है ,

सब को रंगों से भरता है ,जीवन नए सजाता है  || 

 

जो नई कोंपलें फूटती हैं ,

उनको वह पेड़ बनाता है ,

आवाज पंछियों की वह ,सारे जग  में फैलाता है ,

इस सुंदर से जग को ,वह अति सुंदर बनाता है ,

जग वालों में वह ,मुस्कानें बाँटता जाता है  || 

 

सूरज की  किरणों से , सजी धरा ,

अपना सोना जग वालों को ,दे जाती है ,

जिससे जग वालों का ,आँचल पूरा भर जाता है  || 

 

इन सब तोहफों को पा कर के ,

मानव अमीर बन जाता है ,

इसीलिए वह धरा और सूरज ,

के सामने श्रृद्धा से शीश झुकाता है  || 

 

No comments:

Post a Comment