श्रृद्धा
जीवन में आने वाला हर दिन ,
सब रंग नए दिखलाता है ,
उगने वाला सूरज ,हर किरण नई बिखराता है ,
सब को रंगों से भरता है ,जीवन नए सजाता है ||
जो नई कोंपलें फूटती हैं ,
उनको वह पेड़ बनाता है ,
आवाज पंछियों की वह ,सारे जग में फैलाता है ,
इस सुंदर से जग को ,वह अति सुंदर बनाता है ,
जग वालों में वह ,मुस्कानें बाँटता जाता है ||
सूरज की किरणों से , सजी धरा ,
अपना सोना जग वालों को ,दे जाती है ,
जिससे जग वालों का ,आँचल पूरा भर जाता है ||
इन सब तोहफों को पा कर के ,
मानव अमीर बन जाता है ,
इसीलिए वह धरा और सूरज ,
के सामने श्रृद्धा से शीश झुकाता है ||
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