कर्मों से भरी किस्मत
किस्मत का लेखा लेकर आए हम , इस जग में ,
तब हमारे कर्म का लेखा शून्य था ,
किस्मत का खर्चा किया हमने , इस जग में ,
हो गया , जो अंत तक हो गया शून्य था ||
कर्म का लेखा बढ़ता गया ,इस जग में ,
साथ ही कर्म की गठरी भी ,बढ़ती गई ,
हमने वो गठरी ,कैसे कर्मों से भरी ?
अच्छे थे या बुरे थे ? सच्चे थे या झूठे थे ??
यह तो किस्मत ,लिखने वाला ही तय करेगा ,
हमने क्या किया ? कैसे किया ? क्यों किया ?
फैसला रचनाकार का , हम पास हुए या फेल ?
हमने अपना जीवन ,सफल किया या नहीं ??
हम कुछ भी नहीं जानते ,हम कुछ भी नहीं जानते ||
No comments:
Post a Comment