तारागण
दिल , दिमाग जो मिला है बंधु ,
उनमें डालो सुंदर बीज ,
जो उगते ही जीवन को ,सुंदर बनाएँ ,
प्रेम ,प्यार और मीठे बोल ,
जीवन को प्यार में डुबा देंगे ||
लोभ ,मोह और क्रोध ना डालो ,
दिल , दिमाग की भूमि में ,
इनके उगते ही तो बंधु ,
जीवन नर्क बन जाएगा ||
कर लो जीवन को सुंदर ,
गीत बना लो , मीठे बोलों को बुनकर ,
दोस्त बनेंगे दुनिया में ,उन गीतों को सुनकर ||
जीवन के सुंदर बनते ही ,जग सुंदर हो जाएगा ,
जग की सुंदरता देख - देख ,
तारागण भी शर्माएगा ,तारागण भी शर्माएगा ||
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